वरांडा निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को बताया युक्तिसंगत; UNESCO दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का नहीं खतरा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें चंडीगढ़ प्रशासन को कोर्ट रूम नंबर 1 के सामने एक वरांडा बनाने का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह निर्माण यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन नहीं करता।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा 2024 और 2025 में पारित हाईकोर्ट के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह निर्माण कोर्ट रूम नंबर 2 से 9 के सामने पहले से बने वरांडों की शैली में होगा और यह परिसर की वास्तुशिल्प एकरूपता को बनाए रखेगा।

चंडीगढ़ कैपिटल कॉम्प्लेक्स — जिसमें हाईकोर्ट, सचिवालय और विधानसभा भवन शामिल हैं — को 2016 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। इसे प्रसिद्ध वास्तुकार ले कॉर्बूजिए द्वारा डिज़ाइन किया गया था। प्रशासन ने दलील दी थी कि बिना पूर्व अनुमति के वरांडा बनाने से साइट की विश्व धरोहर स्थिति खतरे में पड़ सकती है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक न्यूनतम संरचनात्मक सुरक्षा उपाय है, जिसे पूर्ववर्ती वरांडों के अनुरूप बनाया जा सकता है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आवश्यक हो तो प्रशासन ex-post facto (पश्चात अनुमोदन) ले सकता है।

कोर्ट ने यह भी इंगित किया कि प्रशासन ने आज तक ले कॉर्बूजिए फाउंडेशन या यूनेस्को को इस निर्माण के लिए कोई औपचारिक अनुमति नहीं मांगी है। अदालत ने यह भी कहा कि 1956 से ही इस वरांडा निर्माण की योजना चल रही थी, लेकिन तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की सहमति नहीं मिलने से यह लंबित रह गई।

READ ALSO  समझौते के आधार पर जब एक बार चेक बाउंस के मामलो को वापस ले लिया जाता है, तो प्राथमिकी को रद्द किया जा सकता है, भले ही अभियुक्त को भगोड़ा घोषित किया गया हो: हाईकोर्ट

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रशासन की ओर से पेश होकर कहा कि प्रशासन को वरांडा के निर्माण से सिद्धांततः कोई आपत्ति नहीं है, केवल यूनेस्को से अनुमति नहीं लेने को लेकर चिंता है।

वरिष्ठ अधिवक्ता निधेश गुप्ता हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से और वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस. पतवालिया एमिकस क्यूरी के रूप में पेश हुए।

अदालत ने हाईकोर्ट परिसर के सामने पार्किंग क्षेत्र में ग्रीन पेवर ब्लॉक्स बिछाने के आदेश को भी सही ठहराया। अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट में प्रतिदिन लगभग 3,000 से 4,000 गाड़ियां आती हैं, जबकि पार्किंग की क्षमता केवल 600 चारपहिया वाहनों की है। इससे धूल उड़ती है जो पर्यावरण और इमारत की सुंदरता दोनों को नुकसान पहुंचाती है।

READ ALSO  Supreme Court's Initiative to Appoint Ad Hoc Judges in High Courts to Address Pendency Crisis

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि ग्रीन पेवर ब्लॉक्स बिछाते समय परिदृश्य विशेषज्ञों से परामर्श लिया जाए और उचित अंतराल पर पेड़ लगाए जाएं ताकि हरित क्षेत्र बढ़े और अधिकतम वाहनों की पार्किंग सुनिश्चित की जा सके।

अंततः सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए 12 सप्ताह का समय देते हुए उसके खिलाफ शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही को फिलहाल स्थगित कर दिया।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles