सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद यूपी सरकार ने दी सफाई — बोले, बांके बिहारी मंदिर अध्यादेश बेहतर प्रशासन के लिए लाया गया

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी आलोचना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट को लेकर लाए गए अध्यादेश का बचाव किया। सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 का उद्देश्य केवल मंदिर के बेहतर प्रशासन को सुनिश्चित करना है, न कि इसके स्वामित्व संबंधी लंबित मुकदमे को प्रभावित करना।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ के समक्ष पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने स्पष्ट किया कि अध्यादेश का उद्देश्य मथुरा के वृंदावन स्थित मंदिर में हर सप्ताह आने वाले 2–3 लाख श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन को सुदृढ़ बनाना है।

“मैं स्पष्ट कर दूं कि अध्यादेश का लंबित याचिका से कोई लेना-देना नहीं है। मंदिर प्रशासन को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर निर्देश दिए गए थे,” नटराज ने कहा।

Video thumbnail

हालांकि, पीठ ने टिप्पणी की कि ये तर्क उस समय दिए जा सकते हैं जब अध्यादेश की वैधता पर विचार उच्च न्यायालय करेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए, ने कोर्ट से आग्रह किया कि उन्हें मंदिर प्रशासन को लेकर अपना वैकल्पिक सुझाव 8 अगस्त तक दाखिल करने की अनुमति दी जाए।

READ ALSO  मद्रास हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना मामले में मुआवज़ा बढ़ाया, बीमा कंपनी को दोषमुक्त करने का फ़ैसला बरकरार रखा

इस विवाद की पृष्ठभूमि 15 मई 2025 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जुड़ी है, जिसमें यूपी सरकार को बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर विकसित करने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने मंदिर की धनराशि का उपयोग आस-पास की 5 एकड़ भूमि खरीदने के लिए करने की अनुमति दी थी, बशर्ते वह भूमि मंदिर या ट्रस्ट के नाम पर हो।

हालांकि, 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना पर “गोपनीय तरीके” से आगे बढ़ने पर राज्य सरकार की तीखी आलोचना की और अध्यादेश लाने की जल्दबाज़ी पर सवाल उठाए। कोर्ट ने संकेत दिया कि वह मंदिर के प्रशासन के लिए एक अंतरिम समिति गठित कर सकता है, जिसकी अध्यक्षता किसी सेवानिवृत्त हाईकोर्ट या ज़िला न्यायाधीश द्वारा की जाएगी और जिसमें प्रमुख हितधारकों को भी शामिल किया जाएगा।

READ ALSO  तेलंगाना हाई कोर्ट ने MLC के नामांकन को खारिज करने के राज्यपाल के आदेश को रद्द कर दिया

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल वह अध्यादेश की संवैधानिक वैधता पर निर्णय नहीं दे रहा है — यह मुद्दा इलाहाबाद हाईकोर्ट में उठाया जाएगा।

यह याचिका अधिवक्ता तन्वी दुबे के माध्यम से मंदिर की वर्तमान प्रबंधन समिति द्वारा दाखिल की गई है। इसमें अध्यादेश को चुनौती दी गई है, जिसमें मंदिर के प्रशासन का नियंत्रण राज्य सरकार को सौंपा गया है।

अब यह मामला 8 अगस्त को फिर से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। उस दिन याचिकाकर्ता मंदिर प्रशासन को लेकर अपना प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे।

READ ALSO  We Do Not Appreciate This Tendency: Supreme Court on 43 Adjournments of Bail Plea in Allahabad HC
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles