सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को IIT खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) और ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में हाल ही में हुई छात्रों की आत्महत्याओं पर स्वतः संज्ञान लेते हुए गंभीर चिंता जताई और संस्थानों से पूछा कि क्या इन मामलों की जानकारी समय पर पुलिस को दी गई और क्या आपराधिक मामले दर्ज किए गए।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा, “कुछ तो गलत है।” कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अपर्णा भट्ट को अमिकस क्यूरी नियुक्त करते हुए निर्देश दिया कि वे दोनों मामलों की विस्तृत जानकारी जुटाएं और अदालत को बताएं कि क्या एफआईआर दर्ज हुई और क्या पुलिस को तत्काल सूचना दी गई।
शारदा यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी की 24 वर्षीय छात्रा की आत्महत्या के मामले में एक सुसाइड नोट मिला था, जिसके आधार पर दो शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं IIT खड़गपुर में हुई आत्महत्या पिछले सात महीनों में चौथी घटना थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए।

कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा, “अगर इन दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं की गई या देर की गई और कुछ नहीं किया गया, तो तैयार रहें। हम अवमानना की कार्यवाही शुरू करेंगे और उन्हें सिविल जेल भेजने का निर्देश देंगे।”
IIT खड़गपुर की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि संस्थान ने मामले में तत्परता से कार्रवाई की है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को अपने एक आदेश में यह अनिवार्य किया था कि हर छात्र आत्महत्या के मामले में एफआईआर दर्ज की जाए। उस समय IIT दिल्ली में दो आत्महत्याओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मामले का दायरा बढ़ाते हुए पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस. रविंद्र भट की अध्यक्षता में एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया था। यह समिति छात्र आत्महत्याओं के कारणों की जांच कर रही है, लेकिन अभी तक अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दाखिल नहीं की है।
मार्च के आदेश में कोर्ट ने रैगिंग, यौन उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव, और मानसिक दबाव जैसे कारणों को छात्रों की आत्महत्या के संभावित कारणों के रूप में चिन्हित किया था।