सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला आज़म खान के खिलाफ चल रहे दो आपराधिक मामलों में ट्रायल पर रोक लगा दी। ये मामले कथित फर्जी पासपोर्ट प्राप्त करने और दो स्थायी खाता संख्या (पैन कार्ड) रखने से जुड़े हैं। शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह अंतरिम आदेश अब्दुल्ला की उस अपील पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 23 जुलाई के फैसले को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने रामपुर स्थित एमपी/एमएलए कोर्ट में लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की अब्दुल्ला की याचिकाएं खारिज कर दी थीं।
पहला मामला अब्दुल्ला द्वारा फर्जी जन्मतिथि का इस्तेमाल कर पासपोर्ट बनवाने से जुड़ा है। भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 30 जुलाई 2019 को रामपुर में शिकायत दर्ज कराई थी कि अब्दुल्ला को 10 जनवरी 2018 को जो पासपोर्ट जारी हुआ, उसमें जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दर्ज है, जबकि उनकी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों में जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 है।

दूसरा मामला अब्दुल्ला के नाम पर दो पैन कार्ड होने और 2017 के विधानसभा चुनाव में दाखिल शपथपत्र में गलत जानकारी देने का है। सक्सेना ने 6 दिसंबर 2019 को रामपुर के सिविल लाइंस थाने में अब्दुल्ला और आज़म खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला ने चुनावी शपथपत्र में एक पैन नंबर दिखाया, जबकि आयकर दस्तावेजों में दूसरा पैन नंबर इस्तेमाल किया।
हाई कोर्ट ने दोनों मामलों में अब्दुल्ला की ओर से दाखिल याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वे “बिना किसी ठोस आधार के दाखिल की गई हैं।”