सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को डीएमके नेता और तमिलनाडु सरकार के मंत्री आई. पेरियासामी तथा उनके परिवार के खिलाफ लंबित आय से अधिक संपत्ति मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी। यह मामला कथित तौर पर 2.1 करोड़ रुपये की संपत्ति से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने पेरियासामी की अपील पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया और दिंडीगुल स्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-सह-भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मामलों के विशेष न्यायाधीश के समक्ष चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी। यह अपील मद्रास हाईकोर्ट के 28 अप्रैल के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें विशेष अदालत को पेरियासामी, उनकी पत्नी और दोनों बेटों के खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश दिया गया था।
आरोप है कि पेरियासामी ने वर्ष 2006 से 2010 के बीच मंत्री रहते हुए अपनी ज्ञात आय से अधिक 2.1 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की। यह संपत्ति उनके नाम के साथ-साथ उनकी पत्नी पी. सुसीला और बेटों पी. सेंतिलकुमार व पी. प्रभु के नाम पर भी दर्ज बताई गई।

शुरुआत में निचली अदालत ने पेरियासामी और उनके परिवार को मामले से बरी कर दिया था। लेकिन 2018 में सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) ने इस आदेश को चुनौती देते हुए मद्रास हाईकोर्ट में अपील दायर की। हाईकोर्ट ने बरी करने का आदेश खारिज करते हुए विशेष अदालत को रोजाना सुनवाई कर छह महीने के भीतर मुकदमे को पूरा करने का निर्देश दिया था।
ग्रामीण विकास, पंचायत और पंचायत संघ विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री पेरियासामी ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब सुप्रीम कोर्ट की रोक से आरोप तय करने और मुकदमे की कार्यवाही पर फिलहाल विराम लग गया है।