एक महत्वपूर्ण कानूनी हस्तक्षेप में, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) की अयोग्यता पर रोक लगा दी। इस निर्णय ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले के प्रवर्तन पर भी रोक लगा दी है, जिसमें ऐसे सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक माना गया था।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने छह विधायकों की CPS के पदों पर नियुक्तियों को रद्द करने वाले हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर किसी भी कार्रवाई पर प्रभावी रूप से रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह सुनिश्चित होता है कि ये विधायक अभी अपने पदों पर बने रहेंगे, बिना किसी तत्काल अयोग्यता के खतरे के।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि राज्य सरकार द्वारा इस तरह की कोई और नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि भविष्य में ऐसी कोई भी नियुक्ति कानून के विपरीत होगी। इस निर्देश का उद्देश्य राज्य शासन के भीतर एक विवादास्पद मुद्दे के विस्तार को रोकना है।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता कल्पना देवी को नोटिस जारी किया है, जिन्होंने शुरू में इन नियुक्तियों को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने उनसे दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है और अगली सुनवाई अब से चार सप्ताह बाद निर्धारित की है। इस मामले को इसी तरह के मुद्दों से संबंधित अन्य लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ा गया है, जो दर्शाता है कि कोर्ट इसमें शामिल व्यापक कानूनी सवालों को संबोधित करने का इरादा रखता है।