सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में समाजवादी पार्टी द्वारा मात्र ₹115 के किराए पर नगर पालिका की संपत्ति पर “धोखाधड़ी से कब्ज़ा” जमाने के मामले में कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने इसे “राजनीतिक ताकत के स्पष्ट दुरुपयोग” का मामला करार दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने पार्टी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ डेव से कहा कि यह “धोखाधड़ी से आवंटन” का नहीं बल्कि “धोखाधड़ी से कब्ज़ा करने” का मामला है, जिसमें “बल प्रयोग और सत्ता का दुरुपयोग” किया गया।
यह टिप्पणी पीठ ने समाजवादी पार्टी द्वारा पीलीभीत नगर पालिका परिषद के बेदखली आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दी।

डेव ने दलील दी कि उनकी मुवक्किल पार्टी किराया अदा कर रही थी, इसके बावजूद नगर पालिका उसे बेदखल करना चाहती है। उन्होंने बताया कि बेदखली के खिलाफ दीवानी अदालत में याचिका भी दाखिल की गई है।
इस पर कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “आप एक राजनीतिक पार्टी हैं। आपने आधिकारिक पद और राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग कर जगह पर कब्ज़ा किया। जब कार्रवाई होती है, तभी सब याद आता है। क्या आपने कभी सुना है कि किसी नगर पालिका क्षेत्र में ₹115 किराए पर कार्यालय मिलता है? यह सत्ता के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला है।”
जब देेव ने छह सप्ताह की बेदखली से सुरक्षा मांगी, तो पीठ ने कहा, “इस समय आप एक अवैध कब्जाधारी हैं। यह धोखाधड़ी से आवंटन का नहीं, बल्कि धोखाधड़ी से कब्जे का मामला है।”
डेव ने दावा किया कि केवल उनकी पार्टी को निशाना बनाया जा रहा है, जिस पर पीठ ने सुझाव दिया कि यदि इस तरह के अन्य मामलों का भी खुलासा करना है तो हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की जाए। “अगर आप अन्य ऐसे मामलों को अदालत के संज्ञान में लाते हैं, तो हम इसका स्वागत करेंगे,” पीठ ने कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर कोई राय व्यक्त करने से इनकार करते हुए कहा कि दीवानी अदालत में दायर वाद का निपटारा शीघ्र किया जाना चाहिए।
पार्टी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी याचिका सुनने से इनकार कर दिया गया था। इससे पहले 16 जून को शीर्ष अदालत ने पार्टी के पीलीभीत जिला अध्यक्ष आनंद सिंह यादव द्वारा दायर समान याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें हाई कोर्ट द्वारा नए सिरे से याचिका दाखिल करने पर रोक लगाने के आदेश को चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि पार्टी को नगर निकाय के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में जाने की छूट दी। साथ ही, अदालत ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि दिसंबर 2020 के हाई कोर्ट आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल करने में 998 दिन की देरी हुई है। उस आदेश में आनंद सिंह यादव ने खुद को पार्टी का जिला अध्यक्ष बताया था।
पार्टी का कहना था कि 12 नवंबर 2020 को नगर पालिका ने उसे बिना सुनवाई का मौका दिए बेदखली का आदेश जारी कर दिया।