सुप्रीम कोर्ट की फटकार: मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में भूपेश बघेल और बेटे को हाईकोर्ट जाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में राहत के लिए सीधे शीर्ष अदालत आने पर फटकार लगाई और उन्हें हाईकोर्ट का रुख करने को कहा। अदालत ने कहा कि केवल प्रभावशाली या संपन्न व्यक्ति ही नहीं, आम लोगों को भी न्याय की बराबर पहुंच मिलनी चाहिए।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने पूछा कि बघेल पिता-पुत्र ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल क्यों नहीं की, जो एक संवैधानिक न्यायालय है और ऐसे मामलों को निपटाने में पूरी तरह सक्षम है। पीठ ने टिप्पणी की, “यही तो समस्या है—जब कोई संपन्न व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट आता है, हम दिशा बदलने लगते हैं। अगर ऐसा चलता रहा तो आम नागरिकों और उनके वकीलों के लिए इस अदालत में कोई जगह नहीं बचेगी।”

दोनों याचिकाएं प्रवर्तन निदेशालय (ED) की उन कार्रवाइयों को चुनौती देती हैं जो कथित शराब घोटाला, कोयला घोटाला, महादेव ऐप सट्टेबाजी मामला, चावल मिल अनियमितता और ज़िला खनिज फंड (DMF) के दुरुपयोग जैसे मामलों से जुड़ी हैं—जिनका संबंध भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री कार्यकाल से बताया गया है।

Video thumbnail

वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने बघेल परिवार की ओर से पेश होते हुए, ED द्वारा की गई कथित मनमानी गिरफ्तारी और मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 50 और 63 की वैधता को चुनौती दी। ये धाराएं ED को समन जारी करने, बयान दर्ज करने और झूठे बयान पर दंडित करने का अधिकार देती हैं।

READ ALSO  चेक बाउंस: प्रोप्राइटरशिप फर्म को पक्षकार बनाए बिना एकमात्र मालिक पर एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है: हाईकोर्ट

सिब्बल ने तर्क दिया कि ED सुप्रीम कोर्ट के 2022 के फैसले का उल्लंघन कर रही है, जिसमें एजेंसी को गिरफ्तारी की शक्ति तो दी गई थी लेकिन प्रक्रिया का पालन अनिवार्य किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों को उन पूरक चार्जशीटों के आधार पर गिरफ्तार किया जा रहा है जिनमें उनका नाम मूल FIR या आरोपपत्र में नहीं था।

सिंघवी ने कहा कि चैतन्य बघेल का नाम किसी भी मूल चार्जशीट में नहीं था, फिर भी उनके घर पर छापा मारा गया और बाद में पूरक चार्जशीट में नाम आने पर गिरफ्तार कर लिया गया।

कोर्ट ने कहा कि यदि कार्रवाई में कोई गड़बड़ी है तो उसे पहले हाईकोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “कई बार कानून वैध होता है, लेकिन उस पर की गई कार्रवाई अवैध हो सकती है।”

READ ALSO  पंजाब हाईकोर्ट ने राज्य को अवैध कॉलोनियों से निपटने के लिए संपत्ति पंजीकरण के लिए एनओसी की आवश्यकता के निर्देश दिए

पीठ ने याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट में अंतरिम राहत मांगने की छूट दी और कहा कि PMLA की संवैधानिक वैधता पर वे नई रिट याचिका दायर कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से मामले पर शीघ्र सुनवाई करने को कहा।

ED की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने बताया कि भूपेश बघेल का नाम न किसी FIR में है और न ही चार्जशीट में, फिर भी वे सुप्रीम कोर्ट आ गए। जब पीठ ने पूछा कि क्या उन्हें भविष्य में गिरफ्तार किया जा सकता है, तो राजू ने कहा कि यह जांच की प्रगति पर निर्भर करेगा।

READ ALSO  यह रातों-रात अवैध रूप से धन बटोरने का आसान रास्ता बन गया है, जिसे निर्दोष लोगों को बचाने के लिए सख्ती से रोकने की जरूरत है- जानिए हाईकोर्ट ने ऐसा क्यूँ कहा

इस पर न्यायमूर्ति बागची ने टिप्पणी की, “हम किसी नागरिक की स्वतंत्रता को अधर में नहीं छोड़ सकते। उसे अपने अधिकारों की रक्षा का पूरा हक है।”

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles