सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व मंत्री की 1998 में हुई हत्या के मामले में दो लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई, बरी किए जाने के फैसले को पलटा

एक महत्वपूर्ण न्यायिक मोड़ में, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला सहित दो व्यक्तियों को बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की 1998 में हुई हत्या में शामिल होने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला पटना हाईकोर्ट के पिछले फैसले को आंशिक रूप से पलट देता है, जिसमें सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने मुन्ना शुक्ला और एक अन्य आरोपी मंटू तिवारी को हत्या (आईपीसी धारा 302) और हत्या के प्रयास (आईपीसी धारा 307) के आरोपों के तहत दोषी पाया। अदालत ने उन्हें अपनी आजीवन कारावास की सजा काटने के लिए 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।

यह निर्णय पूर्व भाजपा सांसद रमा देवी, जो कि दिवंगत मंत्री की विधवा हैं, तथा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर अपील के जवाब में आया है, जिसमें अपर्याप्त साक्ष्य के आधार पर आरोपियों को 2014 में हाईकोर्ट द्वारा बरी किए जाने को चुनौती दी गई थी।

Video thumbnail

जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने तिवारी तथा शुक्ला की आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि की, उसने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह सहित छह अन्य व्यक्तियों को उनके विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य के अभाव का हवाला देते हुए बरी करने के हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा।

1998 के इस मामले में कई कानूनी लड़ाइयाँ लड़ी गईं, जिसमें ट्रायल कोर्ट ने मूल रूप से 2009 में आरोपियों को दोषी ठहराया तथा उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। हालांकि, अभियोजन पक्ष के साक्ष्य की समीक्षा करने के पश्चात हाईकोर्ट ने 2014 में उन्हें संदेह का लाभ देते हुए इसे खारिज कर दिया।

READ ALSO  कलकत्ता हाईकोर्ट ने राम मंदिर उद्घाटन दिवस पर 'ड्राई डे' की मांग करने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles