सुप्रीम कोर्ट ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ (Digital Arrest) जैसी साइबर ठगी के जरिए देश से बाहर भेजी जा रही भारी धनराशि पर गहरी चिंता व्यक्त की है। मंगलवार को शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह पीड़ितों को नुकसान की भरपाई (Compensation) सुनिश्चित करने के लिए संभावित तंत्र का मूल्यांकन करे। इसमें ब्रिटेन (UK) की तर्ज पर एक अनिवार्य प्रतिपूर्ति (Reimbursement) योजना लागू करने का प्रस्ताव भी शामिल है।
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ ने इन वित्तीय अपराधों के जटिल और सुनियोजित तरीके पर कड़ी आपत्ति जताई, जहां जालसाज खुद को पुलिस, सीबीआई या सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं और वीडियो कॉल के जरिए ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाकर मोटी रकम वसूलते हैं। शिकार बनने वालों में बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं।
देश से बाहर जा रही ‘हैरान करने वाली’ रकम
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत ने वित्तीय नुकसान के पैमाने पर टिप्पणी करते हुए कहा, “हम इस बात से हैरान हैं कि इन जालसाजों द्वारा कितनी भारी मात्रा में पैसा देश से बाहर ले जाया गया है।”
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट हरियाणा के एक बुजुर्ग दंपति की शिकायत पर सुओ-मोटो (स्वतः संज्ञान) मामले की सुनवाई कर रहा है। अब यह मामला देश के साइबर सुरक्षा तंत्र की व्यापक न्यायिक समीक्षा का रूप ले चुका है।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पीठ को सूचित किया कि सरकार इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने बताया कि इन घोटालों पर लगाम लगाने के लिए रणनीति बनाने हेतु जल्द ही एक अंतर-मंत्रालयी बैठक (Inter-ministerial meeting) आयोजित की जाएगी। इस बैठक में सीबीआई (CBI) के इनपुट और कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी, वरिष्ठ अधिवक्ता एन एस नप्पिनई के सुझावों पर विचार किया जाएगा।
पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग (UK मॉडल)
मंगलवार की कार्यवाही का मुख्य केंद्र बिंदु पीड़ितों की आर्थिक रिकवरी था। एमिकस क्यूरी नप्पिनई ने सुझाव दिया कि भारत में भी यूनाइटेड किंगडम (UK) के मॉडल की तर्ज पर ‘विक्टिम कंपन्सेशन स्कीम’ शुरू की जानी चाहिए। ब्रिटेन में ‘ऑथोराइज्ड पुश पेमेंट’ (Authorised Push Payment) घोटालों के मामलों में बैंकिंग चैनल के हस्तक्षेप के माध्यम से पीड़ितों को पैसा वापस मिलना अक्सर अनिवार्य होता है।
पीठ ने केंद्र को इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने आदेश दिया, “एमिकस की सिफारिशों पर संबंधित विभागों द्वारा विचार किया जा सकता है।”
इसके अतिरिक्त, जस्टिस कांत ने तकनीकी सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया और सुझाव दिया कि बैंकों में ‘ऑटोमेटिक अलार्म सिस्टम’ होना चाहिए, जो वास्तविक समय (real-time) में संदिग्ध लेनदेन को चिह्नित कर उन्हें रोक सके।
एकीकृत जांच और AI का उपयोग
मंगलवार की टिप्पणियाँ इस महीने की शुरुआत में जारी किए गए सख्त निर्देशों की अगली कड़ी हैं। 1 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट मामलों की एकीकृत और पैन-इंडिया (Pan-India) जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा था। इसके लिए कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे विपक्ष शासित राज्यों से दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम के तहत सीबीआई को अधिकार क्षेत्र देने के लिए सहमति मांगी थी।
न्यायपालिका ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से भी जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पहले एक नोटिस जारी कर पूछा था कि ‘म्यूल अकाउंट्स’ (Mule Accounts)—जिनका उपयोग अपराधी अवैध धन को इधर-उधर करने के लिए करते हैं—का पता लगाने और उन्हें फ्रीज करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) तकनीक का पर्याप्त उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है।
जांच का दायरा बढ़ा
इन अपराधों की अंतरराष्ट्रीय प्रकृति को पहचानते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह विदेशी टैक्स हेवन (tax havens) से संचालित हो रहे अपराधियों को पकड़ने के लिए इंटरपोल (Interpol) की मदद ले। इसके अलावा कोर्ट ने निम्नलिखित आदेश भी दिए हैं:
- टेलीकॉम जवाबदेही: दूरसंचार विभाग यह सुनिश्चित करे कि सर्विस प्रोवाइडर्स एक ही यूजर या संस्था को कई सिम कार्ड जारी न करें, ताकि साइबर अपराधों में उनका दुरुपयोग रोका जा सके।
- मध्यस्थों का सहयोग: आईटी इंटरमीडियरीज (IT Intermediaries) को निर्देश दिया गया है कि वे जांच में सीबीआई को पूरा सहयोग और डेटा प्रदान करें।
- आंतरिक मिलीभगत: सीबीआई को उन बैंक अधिकारियों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है, जिन पर ‘म्यूल अकाउंट्स’ संचालित करने में जालसाजों की मदद करने का संदेह है। कोर्ट ने ऐसे अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत मामला दर्ज करने को कहा है।
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि सभी हितधारक उनके मार्गदर्शन में उचित निर्णय लेंगे और पीठ को परिणामों से अवगत कराएंगे।

