सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के पूर्व प्रमुख सफदर नागोरी की याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। नागोरी ने अपनी याचिका में यह स्पष्ट करने की मांग की है कि क्या देशद्रोह कानून (भारतीय दंड संहिता की धारा 124A) पर 2022 में शीर्ष अदालत द्वारा लगाई गई रोक का असर उनके आपराधिक अपील पर भी पड़ेगा।
नागोरी इस समय आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, जो उन्हें 2017 में मध्य प्रदेश की एक जिला अदालत ने हथियारों, विस्फोटकों की अवैध बरामदगी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की साजिश के आरोप में सुनाई थी। जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में उनकी अपील अंतिम चरण में थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मई 2022 के आदेश का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने फैसला सुनाने से खुद को रोके रखा।
हाईकोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि शीर्ष अदालत द्वारा धारा 124A पर लगाई गई अंतरिम रोक का प्रभाव अपील की सुनवाई पर भी पड़ेगा या नहीं, क्योंकि नागोरी के मामले में देशद्रोह के अलावा अन्य आरोप भी हैं।

न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिंह और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने इस मुद्दे पर मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर दिया है और मामले की अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह में तय की है।
पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया है कि हाईकोर्ट में अपील की सुनवाई लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन अंतिम आदेश पारित करने से पहले उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने 11 मई, 2022 के आदेश के पैरा 8(d) की व्याख्या को लेकर स्पष्टता मांगी है। अतः नोटिस जारी किया जाए।”
नागोरी के खिलाफ मामला मार्च 2008 में राज्य की स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा की गई गिरफ्तारी से शुरू हुआ था। उन पर और 11 अन्य आरोपियों पर आतंकवाद से संबंधित एक बड़ी साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। 2017 में सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में देशद्रोह कानून (धारा 124A) के इस्तेमाल पर पूरे देश में रोक लगाते हुए सभी लंबित मामलों—चाहे वह ट्रायल हों, अपीलें हों या अन्य कार्यवाही—को तब तक स्थगित रखने का आदेश दिया था जब तक इस कानून की संवैधानिक वैधता पर निर्णय नहीं हो जाता।