2019 में कांग्रेस के पूर्व सांसद वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम कदम उठाते हुए तेलंगाना हाईकोर्ट द्वारा आरोपियों को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के वकील और मृतक की बेटी सुनीता नरेड्डी की ओर से पेश अधिवक्ता जेसल वाही की दलीलों पर गौर किया। याचिकाओं में गज्जाला उदय कुमार रेड्डी को मिली जमानत को रद्द करने की मांग की गई है। गज्जाला को कडप्पा के सांसद और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता वाई.एस. अविनाश रेड्डी का करीबी बताया गया है।
सुनीता ने 21 अगस्त 2024 के हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें गज्जाला को 2 लाख रुपये के निजी मुचलके और दो समान राशि की जमानतों पर रिहा करने की अनुमति दी गई थी।

याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि गज्जाला ने महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने में भूमिका निभाई और जांच कर रहे एक CBI अधिकारी के खिलाफ झूठी FIR दर्ज कराने में भी शामिल रहा। याचिका में कहा गया है, “प्रतिकारी संख्या 1 के खिलाफ गंभीर आरोप हैं कि वह हत्या की साजिश में शामिल था और महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने में सहायक था।”
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम ऐसे समय में आया है जब मामले में जल्द ही ट्रायल शुरू होने वाला था। कोर्ट की यह पहल यह संकेत देती है कि वह यह सुनिश्चित करना चाहता है कि न्यायिक प्रक्रिया किसी भी तरह की छेड़छाड़ या गवाहों को डराने-धमकाने से प्रभावित न हो।
पिछले वर्ष दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में वाई.एस. अविनाश रेड्डी के पिता वाई.एस. भास्कर रेड्डी को दी गई जमानत पर भी CBI और भास्कर रेड्डी से जवाब तलब किया था। शीर्ष अदालत इस मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर विचार कर रही है, जिनमें जमानत आदेशों को चुनौती और गवाहों को धमकाने के आरोप शामिल हैं।
गौरतलब है कि विवेकानंद रेड्डी, जो आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी के चाचा थे, उनकी हत्या के इस मामले में राजनीतिक साजिश की आशंका लंबे समय से जताई जा रही है। इसी कारण 2020 में जांच को राज्य पुलिस से हटाकर CBI को सौंपा गया था। 2019 के विधानसभा चुनावों से कुछ सप्ताह पहले हुई इस हत्या को लेकर अब तक कई मोड़ सामने आ चुके हैं।