नई दिल्ली, 1 सितंबर: दक्षिण मुंबई स्थित ऐतिहासिक गेटवे ऑफ इंडिया पर नए पैसेंजर जेट्टी और टर्मिनल के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस परियोजना के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिकाकर्ता लौरा डी’सूज़ा की अपील को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला सरकार की नीतिगत परिधि में आता है, इसलिए इसमें न्यायिक हस्तक्षेप उचित नहीं है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 15 जुलाई को तीन याचिकाओं को खारिज करते हुए महाराष्ट्र मेरीटाइम बोर्ड (एमएमबी) की ₹229 करोड़ की परियोजना को हरी झंडी दी थी। इस परियोजना के तहत गेटवे ऑफ इंडिया से लगभग 280 मीटर दूर समुद्र के 1.5 एकड़ क्षेत्र में पैसेंजर जेट्टी और टर्मिनल का निर्माण किया जाएगा।

योजना के अनुसार, टर्मिनल में वीआईपी लाउंज, प्रतीक्षा कक्ष, एम्फीथियेटर, टिकट काउंटर, प्रशासनिक कार्यालय और 150 वाहनों की पार्किंग की सुविधा होगी। जेट्टी का आकार टेनिस रैकेट जैसा होगा और यह समुद्र में खंभों पर खड़ी की जाएगी।
याचिका में दावा किया गया था कि इस परियोजना से स्थानीय निवासियों को असुविधा होगी क्योंकि ट्रैफिक जाम और नागरिक सुविधाओं पर दबाव के मुद्दे पर विचार नहीं किया गया है। साथ ही, गेटवे ऑफ इंडिया जैसे विरासत स्मारक के पास निर्माण से इलाके की पहचान और पहुंच पर असर पड़ेगा।