सुप्रीम कोर्ट ने पीएफआई नेता ए.एस. इस्माइल की अंतरिम ज़मानत याचिका खारिज की, जेल में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं का दिया हवाला

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के नेता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आरोपी ए.एस. इस्माइल की चिकित्सा आधार पर दायर अंतरिम ज़मानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि तिहाड़ जेल में आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध हैं, ऐसे में ज़मानत देने का कोई आधार नहीं बनता।

न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस्माइल की याचिका का निपटारा करते हुए दिल्ली सरकार की इस बात को रिकॉर्ड पर लिया कि आरोपी को आवश्यकतानुसार फिजियोथेरेपी की सुविधा तिहाड़ जेल नंबर 1 में उपलब्ध है और जरूरत पड़ने पर मेडिकल सलाह के अनुसार जेल नंबर 3 में भी दी जा सकती है।

इससे पहले कोर्ट ने इस्माइल की चिकित्सा आधार पर अंतरिम ज़मानत याचिका को ठुकरा दिया था और तिहाड़ जेल प्रशासन से पूछा था कि क्या जेल परिसर में पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है। जब इस पर सकारात्मक जवाब मिला तो अदालत ने माना कि ज़मानत की कोई जरूरत नहीं है और मामले को बंद कर दिया।

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इस्माइल, जो पीएफआई की तमिलनाडु इकाई के पूर्व अध्यक्ष और संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रह चुके हैं, को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें भारतीय राज्य के खिलाफ भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वह प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के भी पूर्व सदस्य रह चुके हैं।

एनआईए ने इस्माइल पर आरोप लगाया है कि वह भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा हैं और इसके लिए गैरकानूनी तरीकों और विचारधाराओं का सहारा ले रहे हैं।

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अदालत का आज का आदेश यह स्पष्ट करता है कि यदि जेल में चिकित्सा सुविधाएं पर्याप्त रूप से उपलब्ध हैं, तो केवल चिकित्सा आधार पर ज़मानत नहीं दी जा सकती।

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