सुप्रीम कोर्ट ने इलैयाराजा की कॉपीराइट विवाद को बॉम्बे हाईकोर्ट से मद्रास हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रसिद्ध संगीतकार इलैयाराजा द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कॉपीराइट से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल विवाद को बॉम्बे हाईकोर्ट से मद्रास हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की थी।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने इलैयाराजा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन द्वारा पेश किए गए तर्कों को अस्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

यह विवाद इलैयाराजा की 500 से अधिक संगीत रचनाओं से जुड़ा है। 2022 में, सोनी म्यूजिक एंटरटेनमेंट इंडिया ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक मुकदमा दायर कर इलैयाराजा म्यूजिक एन मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (IMMPL) को 536 संगीत रचनाओं के उपयोग से रोकने के लिए अंतरिम राहत मांगी थी। सोनी का दावा है कि इन रचनाओं के अधिकार उसे ओरिएंटल रिकॉर्ड्स और ईको रिकॉर्डिंग के माध्यम से प्राप्त हुए हैं। गौरतलब है कि ईको रिकॉर्डिंग पहले से ही इलैयाराजा के साथ लंबे समय से कानूनी विवाद में उलझा हुआ है।

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स्थानांतरण का विरोध करते हुए सोनी म्यूजिक की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि बॉम्बे हाईकोर्ट में यह वाद उस समय दायर किया गया था जब मद्रास हाईकोर्ट में इस मुद्दे से संबंधित कोई मामला लंबित नहीं था। इस दलील को संज्ञान में लेते हुए पीठ ने कहा, “याचिका खारिज की जाती है।”

इलैयाराजा की कंपनी IMMPL ने तर्क दिया था कि जिन 536 संगीत रचनाओं पर विवाद है, उनमें से 310 पहले से ही मद्रास हाईकोर्ट में 2014 से चल रहे एक अन्य मामले में न्यायिक जांच के दायरे में हैं। वह मामला इलैयाराजा ने ईको रिकॉर्डिंग के खिलाफ दायर किया था, जिसमें ईको के दावों की वैधता को चुनौती दी गई थी और कॉपीराइट अधिनियम के तहत इलैयाराजा के नैतिक और आर्थिक अधिकारों को लागू करने की मांग की गई थी।

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2014 में शुरू हुए इस मुकदमे में मद्रास हाईकोर्ट ने 2019 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें इलैयाराजा के एक संगीतकार के रूप में नैतिक और विशेष अधिकारों को मान्यता दी गई थी।

इलैयाराजा, जिन्हें भारत के महानतम संगीतकारों में गिना जाता है, ने पांच दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में 1,500 से अधिक फिल्मों के लिए 7,500 से अधिक गीतों की रचना की है। उनकी संगीत विरासत से जुड़े कानूनी मामले आज भी सार्वजनिक और फिल्म उद्योग की व्यापक रुचि का विषय बने हुए हैं।

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