सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें माकपा नेता ए राजा का 2021 का विधानसभा चुनाव रद्द कर दिया गया था। अब ए राजा की देविकुलम (इडुक्की जिला) सीट से विधायक के रूप में सदस्यता बहाल हो गई है और उन्हें पूरे कार्यकाल के लिए सभी संबद्ध लाभ मिलेंगे।
न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने राजा की अपील स्वीकार करते हुए कहा, “हाईकोर्ट द्वारा दिया गया निर्णय रद्द किया जाता है और चुनाव याचिका खारिज की जाती है। अपीलकर्ता (ए राजा) पूरे कार्यकाल के लिए विधायक पद से संबंधित सभी लाभ पाने के हकदार होंगे।”
यह मामला कांग्रेस नेता डी कुमार द्वारा दाखिल याचिका से जुड़ा था, जिन्होंने 2021 के विधानसभा चुनाव में ए राजा से 7,848 वोटों से हारने के बाद उनकी उम्मीदवारी को चुनौती दी थी। कुमार ने आरोप लगाया था कि ए राजा ईसाई धर्म के अनुयायी हैं और उन्होंने अनुसूचित जाति (SC) प्रमाणपत्र धोखे से प्राप्त किया है ताकि आरक्षित सीट से चुनाव लड़ सकें।
इसके जवाब में, ए राजा ने दलील दी थी कि वह केरल राज्य की ‘हिंदू परायण’ जाति से ताल्लुक रखते हैं और देविकुलम के तहसीलदार द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र इसका प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा था कि उनके माता-पिता ने कभी ईसाई धर्म नहीं अपनाया, उनका खुद का बपतिस्मा नहीं हुआ, उनकी पत्नी हिंदू हैं और उनका विवाह हिंदू रीति-रिवाजों जैसे ‘थाली’ बांधने और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ था।
हाईकोर्ट ने हालांकि इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा था कि ए राजा ने अपने विवाह और धर्म से जुड़े सवालों पर टालमटोल भरे जवाब दिए, जिससे यह स्पष्ट है कि उन्होंने सच्चाई छिपाने का प्रयास किया। अदालत ने उनके विवाह की तस्वीरों और अन्य दस्तावेजों के आधार पर निष्कर्ष निकाला था कि राजा ईसाई धर्म अपना चुके हैं और वह हिंदू परायण समुदाय के सदस्य नहीं रहे।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि राजा यह साबित करने में असफल रहे कि उनके पूर्वज 1950 के राष्ट्रपति आदेश से पहले केरल में प्रवास कर चुके थे, जो अनुसूचित जाति के दर्जे के लिए एक आवश्यक शर्त है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अब इन सभी तर्कों को खारिज कर दिया है और राजा की चुनाव वैधता को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 26 सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।