नई दिल्ली में बुधवार को एक भावुक क्षण में सुप्रीम कोर्ट ने कुख्यात नितीश कटारा हत्याकांड में दोषी विकास यादव की बीमार माँ की देखभाल को लेकर दिल्ली सरकार से कड़ा सवाल किया। न्यायालय ने पूछा, “अगर विकास यादव की माँ को कुछ हो गया तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे?”, जिससे इस मानवीय पहलू की गंभीरता सामने आई क्योंकि यादव अपनी गम्भीर रूप से बीमार माँ की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत की माँग कर रहे हैं।
वर्ष 2002 के इस चर्चित हत्याकांड में दोषसिद्ध यादव 25 वर्ष की सजा काट रहे हैं और अब तक 23 साल जेल में बिता चुके हैं। जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए संकेत दिया कि वह जमानत देने के पक्ष में हैं, लेकिन उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यह भी कहा कि यह मामला नैतिक दुविधा उत्पन्न करता है – एक ओर दोषी का पारिवारिक देखभाल का अधिकार है, तो दूसरी ओर उसकी प्रभावशाली पृष्ठभूमि के कारण संभावित दुरुपयोग की आशंका भी है। दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि यादव ने पहले भी मेडिकल जमानत का दुरुपयोग किया है और वह अत्यधिक प्रभावशाली व्यक्ति हैं।
कोर्ट ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकारों को भी फटकार लगाई कि उन्होंने यादव की माँ की हालत पर मेडिकल बोर्ड गठित करने के उसके 2 अप्रैल के आदेश का पालन करने में देरी की। यशोदा अस्पताल, गाज़ियाबाद में ICU में भर्ती माँ की हालत गंभीर है और उन्हें तुरंत सर्जरी की आवश्यकता है, लेकिन मेडिकल बोर्ड गठित करने में 10 दिन लग गए।
यह सुनवाई उस पृष्ठभूमि में हो रही है जब सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2016 को यादव को बिना किसी रियायत के आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसमें जातीय पूर्वाग्रहों से प्रेरित अपहरण और हत्या जैसे जघन्य अपराध शामिल थे।