बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्देश में पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया कि वह बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं कैलाश विजयवर्गीय, अर्जुन सिंह और अन्य के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच की स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करे। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने राज्य सरकार को एक माह के भीतर शपथ-पत्र के माध्यम से प्रत्येक मामले की प्रगति की जानकारी देने को कहा है।
ये आपराधिक मामले पश्चिम बंगाल के विभिन्न थानों में दर्ज किए गए थे, जिनमें आरोपियों ने आगामी 2021 विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए इन मामलों को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 23 जुलाई तय करते हुए आरोपियों को किसी भी तरह की जबरदस्ती से संरक्षण देने की अंतरिम व्यवस्था जारी रखी है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने इन मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने की मांग की, यह कहते हुए कि राज्य पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं होगी। हालांकि, पीठ ने इस पर सवाल उठाया कि क्या CBI की जांच वास्तव में निष्पक्ष होगी, जिससे यह मामला और जटिल हो गया।

बीजेपी नेता अर्जुन सिंह ने अदालत को बताया कि उनके खिलाफ 2019 में ही 64 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें अधिकांश मामूली कानून व्यवस्था के उल्लंघन और चोटों से संबंधित हैं। उन्होंने इन मामलों को अपने राजनीतिक करियर को बाधित करने के उद्देश्य से प्रेरित बताया। सिंह के बेटे पवन सिंह, जो अब बीजेपी के विधायक हैं और पहले तृणमूल कांग्रेस में थे, उन पर भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिन्हें वह राजनीतिक प्रतिशोध मानते हैं।