सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: होमबायर्स से धोखाधड़ी के मामले में बिल्डर्स-बैंकों की साठगांठ की जांच सीबीआई को सौंपी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिल्डर्स और बैंकों के बीच कथित “अशुद्ध गठजोड़” के जरिए हजारों होमबायर्स को धोखा देने के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने सुपरटेक लिमिटेड समेत कई प्रमुख बिल्डर्स के खिलाफ सात प्रारंभिक जांच (PE) दर्ज करने का निर्देश दिया है। ये मामले नोएडा, गुरुग्राम, मुंबई, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, मोहाली, कोलकाता और इलाहाबाद जैसे प्रमुख शहरों से जुड़े हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सीबीआई द्वारा दाखिल हलफनामे के आधार पर यह आदेश पारित किया, जिसमें कुछ नामी बैंकों और रियल एस्टेट डेवलपर्स के बीच प्रथम दृष्टया गठजोड़ का संकेत दिया गया था।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने सहारनपुर में महिला की मौत की एसआईटी जांच के आदेश दिए, आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला खारिज किया

कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव जैन, जो मामले में न्याय मित्र (अमिकस क्यूरी) के रूप में नियुक्त हैं, की रिपोर्ट पर गौर करते हुए सुपरटेक को इस धोखाधड़ी का प्रमुख दोषी बताया। उन्होंने बताया कि कॉरपोरेशन बैंक ने अकेले बिल्डर्स को 2,700 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सबवेंशन स्कीम के तहत वितरित की, जबकि सुपरटेक ने 1998 से अब तक छह शहरों में 21 प्रोजेक्ट्स के लिए 5,157.86 करोड़ रुपये के ऋण लिए।

Video thumbnail

इन खुलासों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है। उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों को निर्देश दिया गया है कि वे डिप्टी एसपी, निरीक्षक और कांस्टेबलों की एक सूची सीबीआई को दें, ताकि SIT का गठन हो सके।

इसके साथ ही ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, नोएडा अथॉरिटी, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थान (ICAI) और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें जो SIT को आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे।

READ ALSO  NEET-UG 2024 Leak Confined to Patna and Hazaribagh, No Systemic Violation Found: Supreme Court

कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वह इस जांच की प्रगति की मासिक निगरानी करेगा, जिससे यह संकेत मिलता है कि न्यायालय इस मामले की गंभीरता को समझता है और इससे जुड़े हजारों होमबायर्स के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

गौरतलब है कि विवादित “सबवेंशन स्कीम” के तहत बैंक बिल्डर को फ्लैट बुक होने पर 60% से 70% ऋण राशि अग्रिम दे देते थे, और जब तक खरीदार को फ्लैट का कब्जा नहीं मिल जाता, तब तक EMI चुकाने की जिम्मेदारी बिल्डर की होती थी। लेकिन कई बिल्डर्स ने EMI चुकाने में चूक की, जिसके कारण बैंकों ने EMI की मांग सीधे खरीदारों से करनी शुरू कर दी, जबकि उन्हें अभी तक उनका घर नहीं मिला था।

READ ALSO  तस्करी विरोधी कानून तस्करों को लक्षित करता है, यौनकर्मियों को नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles