सुप्रीम कोर्ट  ने यूपी की शुगर मिल पर NGT द्वारा लगाए गए 18 करोड़ रुपये के पर्यावरणीय जुर्माने को रद्द किया

सुप्रीम कोर्ट  ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के खतौली स्थित शुगर मिल पर पर्यावरणीय नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा लगाए गए 18 करोड़ रुपये के मुआवजे को निरस्त कर दिया। अदालत ने कहा कि NGT ने वैधानिक प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए आदेश पारित किया और “न्याय करने की कोशिश में उल्टा अन्याय कर दिया।”

न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कंपनी एम/एस त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड की अपील स्वीकार करते हुए 15 फरवरी और 16 सितम्बर 2022 को पारित NGT के आदेशों को रद्द कर दिया। निर्णय लिखते हुए न्यायमूर्ति भुयान ने कहा कि यह पूरा मामला “विधि द्वारा निर्धारित प्रक्रिया की अवहेलना के कारण दूषित हो गया है।”

शीर्ष अदालत ने पाया कि NGT ने प्रदूषण नियंत्रण उपायों और अपशिष्ट जल उत्सर्जन की जांच के लिए एक एड-हॉक समिति गठित की थी, जबकि जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 21 और 22 में स्पष्ट रूप से निर्धारित वैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

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अदालत ने यह भी कहा कि समिति की रिपोर्ट पर बिना किसी विचार-विमर्श के कार्रवाई की गई और कंपनी को न तो पक्षकार बनाया गया और न ही रिपोर्ट को चुनौती देने का अवसर दिया गया।

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पीठ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि संबंधित आदेश, जिनसे अपीलकर्ता पर प्रतिकूल नागरिक परिणाम पड़े, वैधानिक प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांतों का पालन किए बिना पारित किए गए। अतः हम इन्हें अवैध और शून्य घोषित करते हैं।”

निर्णय में कहा गया कि पर्यावरणीय मुआवजा “बिना किसी न्यायिक विचार-विमर्श और बिना सुनवाई का अवसर दिए” निर्धारित कर दिया गया। समिति की रिपोर्ट यह भी स्पष्ट नहीं करती कि उसने अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया या नहीं।

अदालत ने रेखांकित किया कि NGT, एक न्यायिक निकाय होने के नाते, निष्पक्ष और वैधानिक प्रक्रिया का पालन करने के लिए बाध्य है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत उसकी कार्यप्रणाली का “अविभाज्य हिस्सा” हैं।

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शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को मिल का निरीक्षण करने और आवश्यक होने पर विधि अनुसार सुधारात्मक कार्रवाई करने का अधिकार होगा।

यह मामला चंद्रशेखर नामक एक याचिकाकर्ता की ओर से NGT में दायर याचिका से शुरू हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि त्रिवेणी इंजीनियरिंग की खतौली शुगर मिल स्थानीय नालों में बिना उपचारित अपशिष्ट जल छोड़ रही है, जिससे 1.5 किलोमीटर के दायरे में 50 मीटर गहराई तक भूजल दूषित हो गया।

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NGT ने इस पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), UPPCB और मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी की संयुक्त समिति गठित की थी। समिति ने दिसम्बर 2021 में निरीक्षण कर कई खामियां बताई थीं, जिसके आधार पर 18 करोड़ रुपये का मुआवजा लगाया गया था।

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