सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है, जब यह सामने आया कि एक दुष्कर्म दोषी को सात साल की सजा पूरी करने के बावजूद आठ साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने इस गंभीर लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाते हुए पूछा कि इतनी बड़ी चूक कैसे हुई।
सागर जिले की खुरई सत्र अदालत ने दोषी को दुष्कर्म सहित अन्य अपराधों में आजीवन कारावास और ₹2,000 के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

बाद में दोषी ने हाईकोर्ट में अपील की, जहां अदालत ने उसकी सजा को आंशिक रूप से कम करते हुए उम्रकैद से घटाकर सात साल का कठोर कारावास कर दिया।
पीठ ने गौर किया कि हाईकोर्ट द्वारा सजा कम किए जाने के बावजूद दोषी को जेल से 6 जून 2025 को ही रिहा किया गया, यानी उसने सात साल से अधिक समय तक कैद झेली।
अदालत ने अपने 22 अगस्त के आदेश में कहा,
“हम जानना चाहते हैं कि इतनी गंभीर लापरवाही कैसे हुई और क्यों याचिकाकर्ता सात साल की पूरी सजा भुगतने के बाद भी आठ साल से अधिक जेल में रहा। राज्य को इस संबंध में उचित स्पष्टीकरण देना होगा।”
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अगली सुनवाई के लिए 8 सितंबर को सूचीबद्ध किया है और राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है।