सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आईआईटी खड़गपुर के एक छात्र और कोटा, राजस्थान में एक नीट अभ्यर्थी की आत्महत्या के मामलों को गंभीरता से लेते हुए यह जानना चाहा कि क्या इन घटनाओं में प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने दोनों स्थानों से जल्द से जल्द रिपोर्ट तलब करने के निर्देश दिए।
पीठ ने 22 वर्षीय मोहम्मद आसिफ क़मर की आत्महत्या का संज्ञान लिया, जो आईआईटी खड़गपुर में सिविल इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष के छात्र थे। उनका शव 4 मई को मदन मोहन मालवीय हॉल स्थित उनके कमरे में फंदे से लटका मिला। वह बिहार के सीतामढ़ी जिले के रहने वाले थे। अदालत ने प्रेस रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि आत्महत्या से कुछ समय पहले वह दिल्ली में अपने एक मित्र से वीडियो कॉल पर बात कर रहे थे।
अदालत ने कहा, “यह उन दुर्भाग्यपूर्ण मामलों में से एक है, जिसके समाधान के लिए हमने छात्र आत्महत्याओं से संबंधित मुद्दों पर काम करने के लिए एक टास्क फोर्स गठित की है।” कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या संस्थान के प्रशासन ने स्थानीय थाने में FIR दर्ज कराई है।

सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में हुई एक और आत्महत्या का भी ज़िक्र किया, जहां एक नाबालिग नीट अभ्यर्थी ने अपने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी। वह मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की रहने वाली थी और पिछले कुछ वर्षों से अपने माता-पिता के साथ कोटा में रहकर नीट-यूजी की तैयारी कर रही थी।
कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2025 में कोटा में यह कोचिंग छात्रों की आत्महत्या का 14वां मामला है। bench ने यह भी कहा कि 2024 में कोटा में 17 छात्र आत्महत्याओं की घटनाएं सामने आई थीं। पीठ ने पूछा कि क्या इस मामले में भी कोई प्राथमिकी दर्ज हुई है।
अगली सुनवाई की तारीख 13 मई तय की गई है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को IIT दिल्ली के दो SC/ST छात्रों की आत्महत्या के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को FIR दर्ज करने और जांच शुरू करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस रविंद्र भट की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) गठित करने का आदेश दिया था, जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्र मानसिक स्वास्थ्य पर काम करना और आत्महत्याएं रोकना है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह NTF के प्रारंभिक कार्यों के लिए सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में ₹20 लाख जमा कराए। पीठ ने कहा कि इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि छात्रों को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले कारकों को समझने और उन्हें दूर करने के लिए एक व्यापक और प्रभावी प्रणाली की तत्काल आवश्यकता है।
कोर्ट ने टिप्पणी की, “इन त्रासदियों से एक चिंताजनक पैटर्न उजागर होता है, जिसे गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम उठाना आवश्यक है।