सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के रिज क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ों की कटाई के मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अधिकारियों को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इसमें कोई दुर्भावनापूर्ण मंशा नहीं थी और इसे “प्रशासनिक त्रुटि” करार दिया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह फैसला उस अवमानना याचिका पर सुनाया जिसमें वर्ष 1996 और 4 मार्च 2024 के आदेशों के उल्लंघन और उपराज्यपाल व डीडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष शुभाशीष पांडा पर जानबूझकर आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाया गया था।
अदालत ने डीडीए अधिकारियों पर ₹25,000 का जुर्माना लगाया, लेकिन डीडीए के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से सजा से राहत दी।

शीर्ष अदालत ने डीडीए को यह भी निर्देश दिया कि वह उस रोड चौड़ीकरण से लाभान्वित रिज क्षेत्र के समृद्ध नागरिकों पर एक बार की विशेष वसूली लगाए।
इसके साथ ही अदालत ने एक तीन-सदस्यीय समिति के गठन का भी आदेश दिया जो व्यापक वृक्षारोपण योजना की निगरानी करेगी। समिति को सड़क के दोनों ओर घना हरित आवरण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।
इससे पहले 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान कहा था कि वह अवमानना के आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखेगी। इसके बाद अदालत ने शुभाशीष पांडा को नोटिस जारी किया था और उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर जवाब मांगा था कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
गौरतलब है कि फरवरी 2024 में सीएपीएफआईएमएस अस्पताल (CAPFIMS) के लिए जाने वाली सड़क के विस्तार हेतु करीब 1,100 पेड़ काट दिए गए थे। यह कार्य 16 फरवरी से ही शुरू कर दिया गया था, जबकि डीडीए द्वारा अनुमति के लिए जो आवेदन बाद में दिया गया, उसे सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च को “अत्यंत अस्पष्ट” बताते हुए खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील रिज क्षेत्र को कानूनी सुरक्षा प्राप्त है और शहरी योजनाकारों को पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की जिम्मेदारी निभानी होगी।