सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एल्गार परिषद–भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी महेश राऊत की चिकित्सीय आधार पर दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 15 सितंबर की तारीख तय की।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुन्दरश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ राऊत की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने अपनी हिरासत को चुनौती दी है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अनुरोध पर हाई कोर्ट ने अपने ही आदेश पर एक सप्ताह की रोक लगा दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी रिहाई पर लगी रोक को बढ़ा दिया।
राऊत के वकील ने दलील दी कि सामाजिक कार्यकर्ता रूमेटॉयड आर्थराइटिस से पीड़ित हैं और उन्हें विशेष चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता है, जो न तो जेल अस्पताल और न ही जे.जे. अस्पताल में उपलब्ध है।

उन्होंने कहा, “यदि जेल अस्पताल स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे और उन्हें मेडिकल जांच के लिए ले जाया जा सके… जे.जे. अस्पताल में आवश्यक सुविधाएं नहीं हैं।”
पीठ ने टिप्पणी की कि यदि बीमारी गंभीर है और निरंतर उपचार की आवश्यकता है, तो इसमें कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। न्यायमूर्ति सुन्दरश ने कहा, “हम सभी जानते हैं कि सरकारी डॉक्टर अक्सर सुरक्षित खेलते हैं। यदि गंभीर उपचार की आवश्यकता है तो वे जोखिम नहीं लेते, क्योंकि कुछ भी हो जाने पर उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसलिए पहले इसकी स्थिति स्पष्ट कर लेते हैं।”
पीठ एक अन्य आरोपी ज्योति जगताप की जमानत याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिन्हें 2020 में एल्गार परिषद–माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह, सांस्कृतिक कार्यकर्ता सागर गोरखे उर्फ जगताप, जिन्हें सितंबर 2020 में कबीर कला मंच के अन्य सदस्यों के साथ उकसाऊ नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, अभी तक जेल में हैं।