गिरफ्तारी के आधारों की जानकारी न देने पर रिमांड खारिज करने के खिलाफ कर्नाटक पुलिस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक पुलिस द्वारा दायर उस याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई, जिसमें हत्या के एक मामले में आरोपी की रिमांड को निरस्त करने वाले हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने कहा था कि आरोपी को उसकी गिरफ्तारी के आधारों की जानकारी नहीं दी गई थी।

न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि यह मामला विचारणीय है और आरोपी को नोटिस जारी किया। साथ ही, इस मामले को उस लंबित याचिका के साथ जोड़ा गया जिसमें गिरफ्तारी के आधारों की जानकारी देने से संबंधित कानूनी प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट ने 22 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

READ ALSO  स्थानीय निकाय चुनाव: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ओबीसी आयोग की रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया

कोर्ट ने कहा, “मामला विचार योग्य है। विशेष अनुमति याचिका और स्थगन आवेदन पर नोटिस जारी करें।” मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।

Video thumbnail

यह मामला 17 फरवरी 2023 को कर्नाटक के हासन ज़िले में हत्या के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति से जुड़ा है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने 17 अप्रैल 2024 को पारित आदेश में ट्रायल कोर्ट की रिमांड को रद्द करते हुए व्यक्ति को रिहा करने का निर्देश दिया था, यह कहते हुए कि उसे गिरफ्तारी के आधारों की कोई स्पष्ट जानकारी या लिखित सूचना नहीं दी गई थी।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, जो कर्नाटक पुलिस की ओर से पेश हुए, ने हाईकोर्ट के आदेश के संभावित दुष्प्रभावों पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि ऐसे कई मामले हाईकोर्ट में लंबित हैं, और यह आदेश मिसाल बन सकता है।

इस पर पीठ ने टिप्पणी की, “आप यह आदेश हाईकोर्ट को दिखाइए। हम इस (निर्णय) का इंतजार कर रहे हैं, उन्हें भी इंतजार करना चाहिए।”

READ ALSO  निषेधाज्ञा की राहत के लिए प्रथम दृष्टया मामले, सुविधा के संतुलन और अपूरणीय हानि का ट्रिपल टेस्ट संतुष्ट करना होगा: हाईकोर्ट

सुप्रीम कोर्ट पहले से ही एक व्यापक कानूनी मुद्दे पर विचार कर रहा है—क्या हर आपराधिक मामले में, जिसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) के मामले भी शामिल हैं, आरोपी को गिरफ्तारी से पहले या तुरंत बाद गिरफ्तारी के आधारों की जानकारी देना अनिवार्य है? इस प्रश्न पर कोर्ट ने 22 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था।

कोर्ट यह भी तय करेगा कि क्या असाधारण परिस्थितियों में की गई गिरफ्तारी—जहां तुरंत आधार देना संभव नहीं होता—भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 50 का पालन न होने के कारण अवैध मानी जाएगी, जिसमें गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के कारणों और ज़मानत के अधिकार की जानकारी देना आवश्यक है।

READ ALSO  नाबालिग लड़कियों को महिला बाल गृह में ही भेजा जाए:--हाई कोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles