सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को झारखंड की एकल माता महिला न्यायिक अधिकारी की उस याचिका पर सुनवाई के लिए हामी भर दी, जिसमें उन्होंने छह महीने की चाइल्डकेयर लीव न दिए जाने को चुनौती दी है। उन्होंने यह अवकाश अपने वैधानिक अधिकार के तहत मांगा था।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने झारखंड सरकार और राज्य उच्च न्यायालय रजिस्ट्री को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ता, जो कि अनुसूचित जाति वर्ग की एक अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (ADJ) हैं, ने जून से दिसंबर तक की छह महीने की चाइल्डकेयर लीव की मांग की थी। उनके वकील ने बताया कि वह एकल माता हैं, समाज के कमजोर तबके से आती हैं और उनका सेवा रिकॉर्ड उत्कृष्ट है — उन्होंने ढाई वर्षों में 4,000 से अधिक मामलों का निस्तारण किया है।

सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने यह सवाल उठाया कि उन्होंने पहले झारखंड हाईकोर्ट में याचिका क्यों नहीं दाखिल की। इस पर उनके वकील ने बताया कि गर्मी की छुट्टियों के कारण हाईकोर्ट में उनकी याचिका पर शीघ्र सुनवाई संभव नहीं थी।
याचिका में कहा गया है कि न्यायिक अधिकारियों के लिए लागू चाइल्ड केयर लीव नियमों के तहत उन्हें सेवा काल में अधिकतम 730 दिन की छुट्टी का अधिकार है, जबकि उन्होंने केवल छह महीने की छुट्टी मांगी है।
अब सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगा।