सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित एक निजी अस्पताल में कथित रूप से “बच्चों की अदला-बदली” (child swapping) के मामले में दंपति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने 1 सितंबर को छत्तीसगढ़ सरकार, अस्पताल और उसके निदेशक को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है क्योंकि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जनवरी में उनके अनुरोध को खारिज कर दिया था। दंपति ने डॉक्टर और अस्पताल निदेशक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और शिकायत की जांच कराने की मांग की थी।
शिकायत के अनुसार, महिला ने अस्पताल में एक लड़की और एक लड़के को जन्म दिया था, लेकिन बाद में उसे दो बेटियाँ ही सौंप दी गईं। संदेह होने पर DNA टेस्ट कराया गया, जिसमें केवल एक लड़की का मिलान माता-पिता से हुआ। इसके बाद दंपति ने इसे “स्पष्ट रूप से बच्चों की अदला-बदली का मामला” बताया।

हाईकोर्ट में राज्य की ओर से दलील दी गई थी कि छह विशेषज्ञ डॉक्टरों की समिति ने अस्पताल के सभी दस्तावेजों की जांच की और उन्हें “सही” पाया। समिति ने किसी भी तरह की बच्चे की चोरी की संभावना से इंकार किया।
अस्पताल निदेशक ने भी अदालत को बताया कि मामले की गहन जांच हो चुकी है और अस्पताल ने डिस्चार्ज के समय बच्चों को माता-पिता को ही सौंपा था। इसके आधार पर हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि याचिकाकर्ता चाहें तो अन्य कानूनी उपाय अपना सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दंपति ने तर्क दिया कि उनकी शिकायत की सही तरह से जांच नहीं हुई और यह भी स्पष्ट नहीं किया गया कि अस्पताल में वास्तव में एक लड़का और एक लड़की का जन्म हुआ था या नहीं।
पीठ ने मामले को विचार योग्य बताते हुए संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया और कहा कि अब मामले की सुनवाई उनके जवाब दाखिल होने के बाद की जाएगी।