हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने विधायक अब्बास अंसारी को जमानत दे दी है, जो मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे हुए हैं। यह फैसला जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने सुनाया, जो दिवंगत गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी के बेटे अंसारी के लिए कानूनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
शीर्ष अदालत का यह फैसला कई कानूनी कार्यवाही के बाद आया है, जिसमें 9 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा अंसारी की जमानत याचिका को खारिज करना भी शामिल है। हाईकोर्ट ने पहले निर्धारित किया था कि सबूत, विशेष रूप से वित्तीय प्रवाह चार्ट, मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन और मेसर्स आगाज फर्मों के साथ अंसारी की भागीदारी के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की पुष्टि करते हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इन कंपनियों पर धन शोधन के लिए माध्यम होने का आरोप लगाया है।
14 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें अंसारी की अपील पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने तर्क दिया था कि वित्तीय सुराग अंसारी को उक्त फर्मों से जुड़े संदिग्ध लेनदेन से सीधे जोड़ता है।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के सदस्य अब्बास अंसारी को शुरू में 4 नवंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया था। वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े तीन पूर्व मामलों से उपजी जांच के आधार पर उनके खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत मामला दर्ज किया गया था।