[जज के घर कैश] सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की जांच के लिए तीन-जजों की समिति गठित की; न्यायिक कार्य भी छीना गया 

दिल्ली हाईकोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के आरोपों के बीच बढ़ते विवाद को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक उच्चस्तरीय तीन-जजों की समिति का गठन किया है। यह समिति इस मामले की गहराई से जांच करेगी।

22 मार्च 2025 को जारी एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के तीन वरिष्ठ जजों की एक समिति गठित करने की घोषणा की। समिति में निम्नलिखित जज शामिल हैं:

  • जस्टिस शील नागू, चीफ जस्टिस, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
  • जस्टिस जी. एस. संधावालिया, चीफ जस्टिस, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
  • जस्टिस अनु शिवरामन, जज, कर्नाटक हाईकोर्ट
READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने नदी तल और बाढ़ के मैदानों पर अनधिकृत निर्माणों पर केंद्र को नोटिस जारी किया

आरोपों की पृष्ठभूमि

जस्टिस वर्मा तब सवालों के घेरे में आ गए जब उनके आवास से फायरफाइटिंग कार्य के दौरान पुलिस द्वारा भारी मात्रा में बेहिसाब नकदी बरामद किए जाने की खबर सामने आई। इस घटना ने विधिक हलकों में व्यापक बहस और न्यायिक मर्यादाओं को लेकर गंभीर चिंता को जन्म दिया है।

Video thumbnail

न्यायिक कार्य अस्थायी रूप से स्थगित

जांच पूरी होने तक दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देशित किया गया है कि वे जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई भी न्यायिक कार्य न सौंपें। यह कदम न्यायपालिका की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता की रक्षा के लिए उठाया गया है, ताकि जांच के दौरान निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे।

पारदर्शिता के उपाय और दस्तावेज़ जारी

सुप्रीम कोर्ट ने इस संवेदनशील मामले में पूर्ण पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट, जस्टिस वर्मा का उत्तर, और अन्य संबंधित दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक अवलोकन के लिए अपलोड कर दिए गए हैं।

READ ALSO  छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पुलिस स्टेशनों के लिए प्रमुख दिशानिर्देश जारी किए, डीजीपी को सीसीटीवी लगाने का निर्देश दिया

अगली प्रक्रिया और संभावित परिणाम

जांच समिति जल्द ही अपनी कार्यवाही शुरू करेगी, जिसमें वित्तीय दस्तावेज़ों, गवाहों के बयान और प्रस्तुत साक्ष्यों की गहन जांच की जाएगी। यदि जांच में गंभीर अनियमितताएं साबित होती हैं, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई से लेकर महाभियोग की सिफारिश तक की संभावना हो सकती है।

यह कठोर कदम सुप्रीम कोर्ट की पारदर्शिता और ईमानदारी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायिक जवाबदेही सार्वजनिक विश्वास और संस्थागत गरिमा बनाए रखने के लिए सर्वोपरि है।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी मामले में गवाहों को धमकाने के आरोपों पर आशीष मिश्रा से जवाब मांगा
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles