सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2002 के नितीश कटारा हत्याकांड में 25 साल की सजा काट रहे विकाश यादव की अंतरिम जमानत एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरश और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के 22 अगस्त के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 29 जुलाई को दी गई अंतरिम जमानत बढ़ाने से इंकार कर दिया था। सुनवाई की शुरुआत में ही न्यायमूर्ति कोटिस्वर सिंह ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इसके बाद न्यायमूर्ति सुंदरश ने पक्षकारों को सूचित किया कि मामले की सुनवाई अब मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के आदेश से किसी अन्य पीठ द्वारा की जाएगी।
यादव के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल की शादी तय है, इसलिए जमानत अवधि बढ़ाई जाए। इस पर नितीश कटारा की मां नीलम कटारा की ओर से पेश वकील ने विरोध जताते हुए कहा कि यादव की शादी पहले ही जुलाई में हो चुकी है। इसके बावजूद अदालत ने जमानत को एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया।

54 वर्षीय यादव, जो अब तक 23 साल से अधिक जेल में बिता चुके हैं, ने यह भी कहा कि उन्हें ₹54 लाख का जुर्माना चुकाने के लिए समय चाहिए, जो उन्हें सजा सुनाते समय लगाया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी शादी 5 सितंबर को तय हुई है।
इस मामले में अलग-अलग पीठों ने सुनवाई की। इससे पहले न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह ने कहा था कि चूंकि 29 जुलाई को अंतरिम जमानत का आदेश न्यायमूर्ति सुंदरश ने दिया था, इसलिए यह मामला उनकी पीठ के सामने ही सुना जाना चाहिए। वहीं 22 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए सुनवाई टाल दी कि उसके पास अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई 25 साल की सजा को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने बरकरार रखा है, यहां तक कि पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर सहमति जताई कि केवल वही अदालत इस मामले में किसी भी राहत पर विचार कर सकती है।
विकाश यादव, जो उत्तर प्रदेश के पूर्व नेता डी.पी. यादव के बेटे हैं, और उनके चचेरे भाई विशाल यादव को 2002 में कारोबारी नितीश कटारा के अपहरण और हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। हत्या का कारण कटारा और विकाश की बहन भारती यादव के बीच कथित रिश्ते को लेकर परिवार की आपत्ति बताई गई थी।
इस मामले में एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को 20 साल की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई को आदेश दिया था कि वह इस साल मार्च में पूरी सजा काट चुका है, इसलिए उसे जेल से रिहा किया जाए।