सुप्रीम कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत देने के अपने आदेश के क्रियान्वयन पर बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को शुक्रवार को बढ़ा दिया।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की याचिका को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष पेश करने का भी निर्देश दिया ताकि याचिका को अन्य आरोपियों के मामलों के साथ टैग करने पर निर्णय लिया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर कुछ भी कहने को इच्छुक नहीं है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल 19 दिसंबर को नवलखा को जमानत दे दी थी, लेकिन एनआईए द्वारा शीर्ष अदालत में अपील दायर करने के लिए समय मांगने के बाद अपने आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी।
अगस्त 2018 में गिरफ्तार किए गए नवलखा को पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने घर में नजरबंद करने की अनुमति दी थी। वह वर्तमान में नवी मुंबई में रह रहे हैं।
यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि अगले दिन पश्चिमी महाराष्ट्र शहर के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी।
मामले में कम से कम 16 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है और उनमें से पांच फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।