ईडी ने प्रीति चंद्रा को जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया, कहा कि 7,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई

ईडी ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा की पत्नी प्रीति चंद्रा को जमानत देने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का विरोध किया और शीर्ष अदालत को बताया कि कथित घोटाले में घर खरीदारों के 7,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 16 जून को हाई कोर्ट के 14 जून के आदेश पर रोक लगा दी थी और जमानत को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका पर प्रीति चंद्रा को नोटिस जारी किया था।

ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने शीर्ष अदालत में दावा किया कि यह मामला “बड़े पैमाने” के घोटाले से संबंधित है और प्रीति चंद्रा की इसमें “महत्वपूर्ण भूमिका” थी।

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राजू ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया, “यह यूनिटेक द्वारा घर खरीदारों के 7,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला है।”

पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

उन्होंने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने कहा था कि वह कंपनी में केवल एक निदेशक थीं और उनके दैनिक मामलों को नियंत्रित करने का कोई सबूत नहीं था।

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एएसजी ने कहा, “हम अपने मामले को परोक्ष दायित्व पर नहीं डाल रहे हैं। हमारा मामला उनकी सक्रिय भागीदारी का है। वह महज एक निदेशक नहीं थीं। यह कोई साधारण मामला नहीं है जैसा कि उन्होंने बनाने की कोशिश की है।”

प्रीति चंद्रा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट ने सभी पहलुओं पर प्रथम दृष्टया मामले का फैसला उनके पक्ष में किया है।

याचिका पर बहस बुधवार को भी जारी रहेगी।

शीर्ष अदालत ने मामले में पारित 16 जून के अपने आदेश में कहा था, “अगले आदेश तक, 14 जून, 2023 के विवादित आदेश के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी।”

हाईकोर्ट ने 14 जून को प्रीति चंद्रा को जमानत दे दी थी और कहा था कि आदेश 16 जून तक प्रभावी नहीं होगा, क्योंकि ईडी ने इसे चुनौती देने के लिए समय मांगा था।

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ईडी ने यूनिटेक समूह और उसके प्रमोटरों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मालिकों संजय चंद्रा और अजय चंद्रा ने अवैध रूप से 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि साइप्रस और केमैन द्वीप में स्थानांतरित कर दी थी।

प्रीति चंद्रा ने पहले यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि वह एक फैशन डिजाइनर और परोपकारी हैं, जो 4 अक्टूबर, 2021 से हिरासत में हैं और उनके पास अपराध से जुड़ी कोई आय नहीं है।

मनी लॉन्ड्रिंग का मामला यूनिटेक समूह और उसके प्रमोटरों के खिलाफ घर खरीदारों द्वारा दायर दिल्ली पुलिस और सीबीआई की कई एफआईआर से उत्पन्न हुआ। निचली अदालत में आरोप पत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है।

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यह आरोप लगाया गया है कि आवास परियोजनाओं के लिए घर खरीदारों से एकत्र किए गए धन का उपयोग उनके इच्छित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया और खरीदारों को धोखा दिया गया और आरोपियों ने मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, प्रीति चंद्रा के खिलाफ आरोप यह है कि उन्होंने अपनी कंपनी प्रकोसली इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड में अपराध से कुल 107 करोड़ रुपये की आय प्राप्त की, लेकिन उन्होंने यह खुलासा नहीं किया कि पैसे का उपयोग कैसे किया गया।

7 नवंबर, 2022 को ट्रायल कोर्ट ने “लेनदेन की विशालता और आरोपों की गंभीरता” का हवाला देते हुए उसे जमानत देने से इनकार कर दिया।

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