सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा वरिष्ठ वकीलों को उनके कानूनी परामर्श के लिए समन भेजे जाने पर गहरी चिंता जताई और कहा कि यह वकील और मुवक्किल के बीच गोपनीयता के मूल सिद्धांत पर सीधा हमला है।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें जस्टिस के विनोद चंद्रन भी शामिल थे, ने उस स्वतः संज्ञान (suo motu) मामले की सुनवाई की, जो मीडिया में आई खबरों के बाद शुरू हुआ था। खबरों के मुताबिक, ईडी ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को समन भेजा था। मामला केयर हेल्थ इंश्योरेंस द्वारा पूर्व रेलिगेयर एंटरप्राइजेज चेयरपर्सन रश्मि सलूजा को ₹250 करोड़ से अधिक मूल्य के 2.27 करोड़ कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन प्लान (ESOP) देने से जुड़ा है। दातार ने ESOP जारी करने के पक्ष में कानूनी राय दी थी, जबकि वेणुगोपाल इस मामले में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड थे।
सीजेआई ने टिप्पणी की, “वकीलों को इस तरह कैसे समन किया जा सकता है? यह तो गोपनीय बातचीत (privileged communication) है,” और कहा कि उन्होंने ऑनलाइन पोर्टल्स पर यह खबर पढ़कर “झटका” महसूस किया। देशभर में बार एसोसिएशनों की तीखी आलोचना के बाद ईडी ने दोनों वकीलों को भेजे समन वापस ले लिए और एक सर्कुलर जारी कर सभी फील्ड ऑफिसर्स को निर्देश दिया कि वे वकीलों को समन न भेजें, जब तक कि कोई कानूनी अपवाद न हो और निदेशक की मंजूरी न ली जाए।

बार नेताओं, एजी, एसजी ने कोर्ट की चिंता का समर्थन किया
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा, “तुर्की में पूरा बार असोसिएशन खत्म कर दिया गया था। हम उस रास्ते पर नहीं जा सकते।”
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटारमणी ने कोर्ट से कहा, “मैंने ईडी से तुरंत कहा कि आपने जो किया वह गलत है,” जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सहमति जताते हुए कहा, “सिर्फ राय देने के लिए वकीलों को समन नहीं किया जा सकता।”
हालांकि, मेहता ने यह भी जोड़ा कि “संस्थाओं के खिलाफ नैरेटिव (कथानक) बनाने की केंद्रित कोशिश हो रही है।” इस पर सीजेआई ने पलटकर कहा, “आप यह नहीं कह सकते कि हम ऐसे नैरेटिव्स से प्रभावित होंगे।”
कोर्ट ने दिखाई बड़ी तस्वीर, गाइडलाइंस बनाने की जरूरत बताई
सीजेआई गवई ने कहा कि कोर्ट ने बार-बार देखा है कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद ईडी राजनीतिक मामलों में लगातार अपीलें दायर कर रही है। “हमने इसे कई बार देखा है… अब हमें गाइडलाइंस तय करनी होंगी,” उन्होंने कहा।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ अपवाद होते हैं, जिनमें वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, और इसका उल्लेख जस्टिस केवी विश्वनाथन के फैसले में है।
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड असोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नायर ने इस मामले को उठाने के लिए कोर्ट का धन्यवाद किया और कहा कि इससे संबंधित वकील स्पेन में थे और उन्हें सोने तक में परेशानी हो रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को तय की है और कहा है कि इसमें मदद के लिए एमिकस क्यूरी (अदालती मित्र) नियुक्त किया जाएगा। कोर्ट ने निर्देश दिया, “एक विस्तृत नोट दाखिल कीजिए, फिर हम एमिकस नियुक्त करेंगे।”