सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता वकील ब्रजेश को तथ्यों से रहित याचिकाएं दायर करने को लेकर चेतावनी दी।
न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की, “अगर आप जनहित याचिका दायर कर रहे हैं तो आपको अपना जीवन इसमें झोंकना होगा… कृपया पब्लिसिटी के लिए इस तरह की याचिकाएं दाखिल न करें।”
इस जनहित याचिका में 15 मार्च 2024 को की गई परमार की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता का दावा था कि परमार के खिलाफ भ्रष्टाचार और जालसाजी के गंभीर आरोप लंबित हैं, जो बिहार सतर्कता अन्वेषण ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गए हैं और पटना की एक विशेष अदालत में मामला लंबित है। याचिका में कहा गया था कि ऐसे में परमार की ईमानदारी संदेह के घेरे में है और उन्हें बीपीएससी जैसे संवैधानिक पद पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए था।

सुप्रीम कोर्ट ने 3 फरवरी को बिहार सरकार और परमार से इस याचिका पर जवाब मांगा था और अधिवक्ता वंषजा शुक्ला को न्याय मित्र (amicus curiae) नियुक्त किया था।
हालांकि याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि परमार “निर्दोष चरित्र” की संवैधानिक योग्यता को पूरा नहीं करते, अदालत ने पाया कि याचिका में पर्याप्त तथ्यात्मक आधार नहीं है और इसे खारिज कर दिया।