देशभर में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे सड़क हादसों के पीड़ितों को त्वरित सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रभावी त्वरित प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल (Swift Response Protocols) तैयार करें और लागू करें। यह आदेश न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ द्वारा पारित किया गया।
पीठ ने कहा कि देश में सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और पीड़ितों को समय पर मदद नहीं मिल पाने के कारण स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। कई बार पीड़ित गंभीर रूप से घायल नहीं होते, लेकिन वाहन में फंसे रह जाते हैं, जिससे उनकी स्थिति बिगड़ जाती है। अदालत ने कहा, “दुर्घटनाओं के कारण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हर मामले में तुरंत प्रतिक्रिया देना आवश्यक है।”
इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित विभागों के साथ बैठकें आयोजित करने और इन प्रोटोकॉल को लागू करने में समन्वय करने का निर्देश भी दिया है। मंत्रालय को यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि ड्राइवरों के कार्य घंटों से संबंधित नियमों की समीक्षा और सख्ती से अनुपालन किया जाए, क्योंकि यह सड़क हादसों का एक बड़ा कारण बनता है।
कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन प्रोटोकॉल को तैयार करने और लागू करने के लिए छह महीने की समयसीमा दी है।
यह निर्देश अधिवक्ता किशन चंद जैन द्वारा दाखिल एक आवेदन के आधार पर आया, जिन्होंने तर्क दिया था कि सड़क दुर्घटनाओं के मामलों को प्रभावी रूप से संभालने और उनके प्रभाव को कम करने के लिए एक मानकीकृत प्रोटोकॉल की आवश्यकता है।