सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक के धर्मस्थल में कथित महिलाओं की हत्या और दफन से जुड़े मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने वाले आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। यह आदेश धर्मस्थल के धर्माधिकारी डी. वीरेंद्र हेगड़े के भाई हर्षेन्द्र कुमार से संबंधित खबरों के प्रकाशन पर रोक लगाने के लिए जारी किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उन्होंने पहले हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया। “आप पहले हाईकोर्ट जाइए,” मुख्य न्यायाधीश ने कहा।
यह याचिका यूट्यूब चैनल थर्ड आई द्वारा दायर की गई थी, जिसमें बेंगलुरु की एक निचली अदालत के एकतरफा अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई थी। इस आदेश के तहत देशभर के करीब 390 मीडिया संस्थानों को धर्मस्थल दफन मामले से जुड़ी लगभग 9,000 लिंक और खबरें हटाने का निर्देश दिया गया था।

यह आदेश श्री मंजुनाथस्वामी मंदिर संस्थानों के सचिव हर्षेन्द्र कुमार डी द्वारा दायर मानहानि वाद के तहत जारी किया गया था। उन्होंने दावा किया कि कई मीडिया प्लेटफॉर्म उन पर और मंदिर प्रबंधन पर झूठे और मानहानिकारक आरोप लगा रहे हैं, जबकि किसी एफआईआर में उनके खिलाफ कोई स्पष्ट आरोप नहीं है।
इस मामले को लेकर बढ़ती सार्वजनिक चिंता को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। हाल ही में राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए।