खेल महासंघों की गहराई से जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है जांच आयोग के गठन पर

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देश के विभिन्न खेल महासंघों के आंतरिक कामकाज की गहराई से जांच के लिए एक जांच आयोग के गठन की संभावना जताई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि इन संघों में केवल खेल से संबंधित नहीं, बल्कि “हर प्रकार की गतिविधियाँ” हो रही हैं, जो जांच की मांग करती हैं।

पीठ ने कहा, “हम कबड्डी संघों के मामलों की गहराई से जांच के लिए एक जांच आयोग नियुक्त करने की सोच रहे हैं क्योंकि इन निकायों में खेल गतिविधियों के अलावा भी बहुत कुछ हो रहा है। हम इस आयोग के दायरे को अन्य खेल महासंघों तक भी विस्तारित करने का इरादा रखते हैं।”

यह टिप्पणी उन दो राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई, जिसमें पहले अदालत ने एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (AKFI) और इंटरनेशनल कबड्डी फेडरेशन की जांच के लिए CBI जांच की संभावना पर केंद्र से जवाब मांगा था।

केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने अदालत को अवगत कराया कि 4 फरवरी के आदेश के बाद खिलाड़ियों को ईरान में टूर्नामेंट में भेजा गया था, जहां उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। CBI जांच से संबंधित प्रक्रियाओं के बारे में उन्होंने अदालत से दो सप्ताह का और समय मांगा।

पीठ ने यह भी संकेत दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो राज्य व अंतरराष्ट्रीय खेल संघों को भंग करने पर भी विचार किया जा सकता है। साथ ही, वर्तमान और पूर्व खिलाड़ियों से दायर हस्तक्षेप याचिकाओं का स्वागत करते हुए कहा कि वे इन खेल निकायों के संचालन में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।

इससे पहले फरवरी में कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश और AKFI के प्रशासक एस पी गर्ग को निर्देश दिया था कि वे फेडरेशन का संचालन फिर से निर्वाचित निकाय को सौंपें ताकि खिलाड़ी ईरान टूर्नामेंट में भाग ले सकें।

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न्यायालय ने जांच की प्रभावशीलता के लिए यह सुझाव भी दिया कि CBI निदेशक अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों जैसे INTERPOL के साथ मिलकर घरेलू और वैश्विक स्तर पर समन्वित जांच करें।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का पूरा अवसर मिलना चाहिए, और फेडरेशन की मान्यता का सीधा असर उनके अंतरराष्ट्रीय भविष्य पर पड़ता है।

यह मामला मूल रूप से कबड्डी खिलाड़ी प्रियांका और पूजा द्वारा दायर किया गया था, जो इंटरनेशनल बॉडी द्वारा AKFI की पुनः मान्यता की मांग कर रही हैं ताकि वे एशियन कबड्डी चैंपियनशिप जैसी प्रतियोगिताओं में भाग ले सकें। दो पूर्व अर्जुन पुरस्कार विजेताओं ने भी मामले में हस्तक्षेप किया है और वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन के माध्यम से AKFI के कामकाज की विस्तृत जानकारी कोर्ट को दी है।

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