सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DHFL) के पूर्व प्रमोटर धीरज वधावन को ₹42,871 करोड़ के बैंक लोन घोटाले मामले में मिली जमानत रद्द कर दी है और उन्हें दो हफ्तों के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद यह फैसला सुनाया। यह आदेश दिल्ली हाई कोर्ट के 9 सितंबर 2024 के उस फैसले के खिलाफ सीबीआई की अपील पर आया है, जिसमें धीरज वधावन को “बीमार व्यक्ति” करार देते हुए चिकित्सकीय आधार पर जमानत दी गई थी।
सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने दलील दी कि वधावन को कोई गंभीर बीमारी नहीं है और मामले में भारी मात्रा में धन की हेराफेरी हुई है।

धीरज वधावन और उनके भाई कपिल वधावन को जुलाई 2022 में इस घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने अक्टूबर 2022 में आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसे अदालत ने संज्ञान में ले लिया था।
एफआईआर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि DHFL के तत्कालीन चेयरमैन और एमडी कपिल वधावन, तत्कालीन निदेशक धीरज वधावन और अन्य ने 17 बैंकों के एक कंसोर्टियम को धोखा देने के इरादे से आपराधिक साजिश रची और ₹42,871.42 करोड़ के लोन मंजूर कराए।
सीबीआई के अनुसार, इस राशि का बड़ा हिस्सा फर्जी खातों और जानबूझकर ऋण की अदायगी में चूक के जरिए गबन कर लिया गया।