सुप्रीम कोर्ट ने केरल में कुलपति नियुक्ति गतिरोध सुलझाने के लिए जस्टिस सुधांशु धूलिया को समिति अध्यक्ष नियुक्त किया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल सरकार और पूर्व राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान के बीच कुलपति (वीसी) नियुक्तियों को लेकर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप किया और सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस सुधांशु धूलिया को दो विश्वविद्यालयों के लिए खोज-सह-चयन समिति (Search-cum-Selection Committee) का अध्यक्ष नियुक्त किया।

समिति की संरचना और दायित्व

न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा, “हम दृढ़ता से मानते हैं कि इस गतिरोध का शीघ्र समाधान होना चाहिए।” अदालत ने जस्टिस धूलिया को प्रक्रिया का नेतृत्व सौंपते हुए निर्देश दिया कि वे एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (KTU) और यूनिवर्सिटी ऑफ डिजिटल साइंसेज़, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी के लिए पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्षता करेंगे।
यह समिति दोनों विश्वविद्यालयों के लिए एक साझा समिति हो सकती है या फिर अलग-अलग, इसका निर्णय धूलिया करेंगे। समिति में राज्यपाल (कुलाधिपति के रूप में) और राज्य सरकार के दो-दो नामित सदस्य होंगे, लेकिन अंतिम संरचना का अधिकार जस्टिस धूलिया के पास रहेगा।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने दो वकीलों को उनके चैंबर में घायल करने के आरोपी लॉ छात्रों को अग्रिम जमानत दी

समिति को प्रत्येक विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए कम से कम तीन नामों की सूची (वर्णानुक्रम में) तैयार करनी होगी। अदालत ने निर्देश दिया कि यह सूची दो सप्ताह के भीतर तैयार की जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग को चार सप्ताह में विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया, जिसमें एक सप्ताह आवेदन की छंटनी के लिए और उसके बाद चयन प्रक्रिया जस्टिस धूलिया की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा पूरी करने के लिए एक माह का समय निर्धारित किया गया है।

सुविधाएं और मानदेय

जस्टिस धूलिया को इस कार्य हेतु प्रति बैठक ₹3 लाख मानदेय, कार्यालय स्थान, सचिवीय सहयोग, आधिकारिक वाहन और तिरुवनंतपुरम में आवास उपलब्ध कराया जाएगा।

व्यापक विवाद अलग से निपटेगा

पीठ ने स्पष्ट किया कि कुलपति नियुक्तियों में राज्यपाल और राज्य सरकार की शक्तियों से जुड़े व्यापक संवैधानिक और कानूनी प्रश्न इस प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद अलग से तय किए जाएंगे।

READ ALSO  यौन उत्पीड़न के झूठे मामलों से महिला सशक्तिकरण को लग रहा झटका- जानिए हाई कोर्ट ने ऐसा क्यूँ कहा

यह आदेश राज्यपाल की उस याचिका पर आया जिसमें उन्होंने केरल हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को अंतरिम वीसी नियुक्त करने की शक्ति मान्य की थी। वहीं, राज्य सरकार ने भी राज्यपाल द्वारा डॉ. के. शिवप्रसाद को केटीयू का अंतरिम कुलपति नियुक्त करने की अधिसूचना को चुनौती दी थी। इस दौरान राज्यपाल की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने और राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने पैरवी की।

विवाद की पृष्ठभूमि

यह विवाद 27 नवंबर 2024 को राज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना से शुरू हुआ, जिसका एलडीएफ सरकार ने विरोध किया। 14 जुलाई को केरल हाई कोर्ट ने राज्यपाल के आदेश को खारिज कर दिया, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस गतिरोध पर नाराज़गी जताई थी और दोनों पक्षों से छात्रों के हितों को प्राथमिकता देने की अपील की थी।

READ ALSO  वकील का ड्राइविंग लाइसेंस जबरन जब्त करने के आरोपी ट्रैफिक पुलिस गार्ड को हाईकोर्ट ने तलब किया

व्यापक परिप्रेक्ष्य

केरल ही अकेला राज्य नहीं है जहां इस तरह का टकराव देखने को मिल रहा है। पश्चिम बंगाल में भी सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित को कुलपति चयन समितियों का प्रमुख नियुक्त किया था, जिसके बाद 36 विश्वविद्यालयों में से 34 में नियुक्तियां की जा चुकी हैं।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles