सुप्रीम कोर्ट ने एआईएफएफ और एफएसडीएल से मास्टर राइट्स एग्रीमेंट विवाद सुलझाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) और फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (FSDL) को निर्देश दिया कि वे मास्टर राइट्स एग्रीमेंट (MRA) के नवीनीकरण को लेकर चल रहे विवाद को सुलझाएँ। इस विवाद के कारण इंडियन सुपर लीग (ISL) का भविष्य संकट में आ गया है।

जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमल्या बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि दोनों पक्ष आपस में चर्चा कर समाधान निकालें और 28 अगस्त तक रिपोर्ट पेश करें, जब मामले की अगली सुनवाई होगी।

18 अगस्त को शीर्ष अदालत ने यह मामला सुनने पर सहमति दी थी जब अमिकस क्यूरी और वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कोर्ट को बताया कि अनुबंध की अवधि के दौरान FSDL को ISL का आयोजन करना ही होगा।

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पिछले हफ्ते 11 आईएसएल क्लबों ने एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे को पत्र लिखकर चेतावनी दी कि यदि विवाद का समाधान नहीं हुआ तो वे “पूरी तरह बंद होने की स्थिति” में पहुँच जाएंगे।

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यह पत्र बेंगलुरु एफसी, हैदराबाद एफसी, ओडिशा एफसी, चेन्नइयन एफसी, जमशेदपुर एफसी, एफसी गोवा, केरल ब्लास्टर्स एफसी, पंजाब एफसी, नॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी, मुंबई सिटी एफसी और मोहम्मडन स्पोर्टिंग द्वारा हस्ताक्षरित था।

क्लबों ने कहा कि बीते 11 वर्षों में उन्होंने युवा विकास, प्रशिक्षण अवसंरचना और सामुदायिक कार्यक्रमों पर भारी निवेश किया है, लेकिन अब यह प्रगति “ताश के पत्तों की तरह बिखरने के खतरे” में है। संचालन ठप होने और लीग के भविष्य को लेकर अनिश्चितता के कारण कुछ क्लबों ने खिलाड़ियों और स्टाफ का वेतन रोक दिया है।

हालांकि, मोहुन बागान सुपर जायंट और ईस्ट बंगाल ने इस पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए।

क्लबों ने चेतावनी दी कि यदि आईएसएल बंद होती है तो भारतीय फुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय तैयारियाँ भी प्रभावित होंगी। खिलाड़ियों के पास न्यूनतम प्रतिस्पर्धी मैच नहीं होंगे जिससे एएफसी टूर्नामेंट में भारतीय क्लबों की भागीदारी पर रोक लग सकती है।

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उन्होंने कहा कि बिना लीग के, राष्ट्रीय टीम भी आगामी एएफसी और फीफा मैचों में गंभीर नुकसान झेलेगी क्योंकि खिलाड़ियों को मैच फिटनेस और प्रतिस्पर्धी माहौल नहीं मिलेगा।

यह संकट तब पैदा हुआ जब एफएसडीएल ने 11 जुलाई को घोषणा की कि 2025-26 का आईएसएल सीजन “स्थगित” रहेगा क्योंकि एआईएफएफ और एफएसडीएल के बीच मास्टर राइट्स एग्रीमेंट का नवीनीकरण तय नहीं हुआ है।

यह एग्रीमेंट 2014 से आईएसएल के संचालन का आधार रहा है। इसके नवीनीकरण में देरी ने भारतीय फुटबॉल ढांचे को हिलाकर रख दिया है।

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यह विवाद उस समय सामने आया है जब एआईएफएफ के ड्राफ्ट संविधान को लेकर भी अदालत में सुनवाई चल रही है। 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इस ड्राफ्ट में कई बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं, जिनमें किसी पदाधिकारी का अधिकतम 12 वर्षों तक ही पद पर बने रहना, 8 साल के बाद 4 साल का कूलिंग-ऑफ पीरियड, और 70 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए पदाधिकारी बनने पर रोक शामिल है।

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