आपराधिक अपीलों के 7 लाख लंबित मामलों पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर, जजों की नियुक्तियों को शीघ्र मंज़ूरी देने को कहा केंद्र से

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देशभर की उच्च न्यायालयों में सात लाख से अधिक आपराधिक अपीलों के लंबित होने पर गंभीर चिंता जताई और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों को शीघ्र मंज़ूरी दे।

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भूयान की पीठ ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट, जहां सर्वाधिक आपराधिक अपीलें लंबित हैं, वहां स्वीकृत पद संख्या 111 है, लेकिन फिलहाल वहां केवल 79 जज कार्यरत हैं।

पीठ ने कहा, “यह एक ऐसा पहलू है जिस पर केंद्र सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए और कॉलेजियम की सिफारिशों को शीघ्र मंज़ूरी देनी चाहिए। हमें विश्वास है कि लंबित प्रस्तावों को केंद्र सरकार जल्द से जल्द स्वीकृति प्रदान करेगी।”

पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि बॉम्बे हाईकोर्ट में 94 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 66 जज कार्यरत हैं। वहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट में 72 की स्वीकृत संख्या के मुकाबले केवल 44 जज कार्यरत हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में भी 60 स्वीकृत पदों के विरुद्ध केवल 41 जज कार्यरत हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन उच्च न्यायालयों में आपराधिक अपीलों की भारी संख्या में लंबितता एक गंभीर मुद्दा है और इसे नीतिगत स्तर पर प्राथमिकता से हल किया जाना आवश्यक है।

READ ALSO  कोर्ट ने हेमंत सोरेन को झारखंड विधानसभा में विश्वास मत में भाग लेने की अनुमति दी

गौरतलब है कि दो दिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर कॉलेजियम की हाईकोर्टों में नियुक्तियों के लिए की गई सिफारिशों को सार्वजनिक किया गया था। इनमें कई सिफारिशें अब तक केंद्र सरकार के पास लंबित हैं। 2023 की चार और 2024 की 13 सिफारिशें अब तक मंज़ूर नहीं की गई हैं। इसके अतिरिक्त, 24 सितंबर 2024 को की गई हालिया सिफारिशें भी अभी तक लंबित हैं।

सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणियां एक बार फिर न्यायिक प्रणाली में नियुक्तियों की समयबद्ध प्रक्रिया सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं, ताकि न्याय में अनावश्यक देरी न हो और नागरिकों को समय पर न्याय मिल सके।

READ ALSO  गैंगस्टर जीवा की पत्नी ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, उप्र सरकार ने कहा- अंतिम संस्कार के लिए दी जा सकती है इजाजत
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles