सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 18 मार्च को आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन और सह-आरोपी अंकुश जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी है। दोनों मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे हैं।
यह निर्णय न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल द्वारा जनवरी में जैन की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई समाप्त होने के बाद आया है, जिसमें अप्रैल 2023 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी।
चार कंपनियों से जुड़ी कथित मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों के लिए मई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए गए जैन को एक साल हिरासत में बिताने के बाद मई 2023 में चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी गई थी। आगामी फैसला इस जमानत के चल रहे विस्तार को संबोधित करेगा।
जैन के खिलाफ आरोपों में 2010-12 और 2015-16 के बीच तीन कंपनियों के माध्यम से धन की हेराफेरी और कोलकाता स्थित शेल कंपनियों के माध्यम से धन की हेराफेरी शामिल है। ईडी का दावा है कि जैन का अपने परिवार के माध्यम से शामिल संस्थाओं पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण है।
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दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान जैन के कथित वित्तीय कदाचार को उजागर करने वाले इस मामले में जैन के लिए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और ईडी के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने प्रतिनिधित्व किया है। यह गिरफ्तारी 2017 में दायर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सीबीआई की एफआईआर पर आधारित थी।