केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सबरीमाला मंदिर में ‘द्वारपालक’ (प्रहरी देवता) की मूर्तियों पर किए गए स्वर्ण-मंडन (गोल्ड-प्लेटिंग) से जुड़े सभी रिकॉर्ड तत्काल जब्त करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में कई “अनुत्तरित प्रश्न” हैं।
न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन वी और न्यायमूर्ति के वी जयकुमार की खंडपीठ ने यह आदेश उस स्वतः संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें यह मुद्दा उठाया गया था कि श्रीकोविल (गर्भगृह) के दोनों ओर स्थित द्वारपालक मूर्तियों से स्वर्ण-मंडित ताम्र आवरण विशेष आयुक्त, सबरीमाला को बिना सूचना दिए हटा दिए गए।
खंडपीठ ने कहा कि स्वर्ण-मंडन और उसके बाद हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही।

“पूरा लेन-देन अनुत्तरित प्रश्नों से भरा हुआ है,” अदालत ने कहा और सतर्कता पुलिस के मुख्य अधीक्षक तथा सुरक्षा अधिकारी को निर्देश दिया कि द्वारपालक, द्वार की चौखट, दरवाज़े का पैनल, लक्ष्मी रूपम और कामनम पर किए गए स्वर्ण-मंडन/स्वर्ण-आवरण से जुड़े सभी दस्तावेज जब्त किए जाएं।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि उस दूसरे सेट के द्वारपालकों से संबंधित फाइलें भी प्रस्तुत की जाएं, जिन्हें मंदिर के स्ट्रांग रूम में रखा गया है।
मामले की सच्चाई स्पष्ट करने के लिए अदालत ने उस फर्म को, जिसे इलेक्ट्रोप्लेटिंग का कार्य सौंपा गया था, और उस प्रायोजक को, जिसने इसका खर्च उठाया था, मामले में पक्षकार बना लिया।
यह आदेश दो दिन बाद आया जब अदालत ने त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) को निर्देश दिया था कि चेन्नई से वे स्वर्ण-मंडित ताम्र पट्टिकाएं वापस लाए, जिन्हें द्वारपालक मूर्तियों से हटाया गया था। अदालत ने टीडीबी की कड़ी आलोचना की थी और कहा था कि बिना पूर्व अनुमति ऐसा करना “अनुचित” है।
इससे पहले मंगलवार को टीडीबी ने मीडिया रिपोर्टों को खारिज किया था, जिनमें दावा किया गया था कि स्वर्ण-मंडित द्वारपालक मूर्तियों को ही गर्भगृह से हटाकर चेन्नई ले जाया गया था।
जानकारी के अनुसार, इन मूर्तियों का मूल स्वर्ण-मंडन एक दशक से भी पहले, 2019 से पहले किया गया था। अब अदालत ने उस समय से जुड़े सभी रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का निर्देश देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि इस पूरे मामले की गहन जांच की जाएगी।
मामले की अगली सुनवाई तब होगी जब जब्त किए गए दस्तावेज और रिपोर्ट अदालत के समक्ष रखे जाएंगे।