भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार सुप्रीम कोर्ट और देशभर के हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की विस्तृत और चरणबद्ध प्रक्रिया सार्वजनिक की है। यह पहल न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है।
I. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति प्रक्रिया
- प्रारंभिक चरण
वर्तमान मुख्य न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने से कम से कम एक माह पहले, केंद्रीय विधि मंत्री नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति हेतु सिफारिश प्राप्त करने के लिए मौजूदा CJI से अनुरोध करता है। - वरिष्ठता का सिद्धांत
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश को उपयुक्त पाए जाने पर अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है। - परामर्श (यदि आवश्यक हो)
यदि वरिष्ठतम न्यायाधीश की उपयुक्तता पर कोई प्रश्न हो, तो CJI अन्य जजों से परामर्श करते हैं जैसा कि अनुच्छेद 124(2) में उल्लेखित है। - प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की भूमिका
सिफारिश प्रधानमंत्री को भेजी जाती है, जो राष्ट्रपति को नियुक्ति की सलाह देते हैं।
II. सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति प्रक्रिया
- कोलेजियम की संरचना
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम जजों से मिलकर कोलेजियम बनता है। यदि अगला CJI इन चार में से नहीं है, तो उसे कोलेजियम में शामिल किया जाता है। - योग्यता और स्रोत
नियुक्ति हेतु सिफारिश निम्न में से की जा सकती है:
- हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश/न्यायाधीश,
- प्रतिष्ठित अधिवक्ता, या
- विशिष्ट न्यायविद।
- हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश/न्यायाधीश,
- मूल्यांकन के मानदंड
- हाईकोर्ट के जजों की आपसी वरिष्ठता,
- कार्य निष्पादन दर और निर्णयों की गुणवत्ता,
- ईमानदारी और योग्यता,
- विभिन्न हाईकोर्टों का उचित प्रतिनिधित्व।
- हाईकोर्ट के जजों की आपसी वरिष्ठता,
- परामर्श
कोलेजियम उस हाईकोर्ट से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश से परामर्श करता है, जहां से प्रस्तावित व्यक्ति आता है। - अंतिम प्रक्रिया
सिफारिश विधि मंत्री के माध्यम से प्रधानमंत्री तक जाती है, जो राष्ट्रपति को सलाह देते हैं। राष्ट्रपति नियुक्ति की अधिसूचना जारी करते हैं।
III. हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति प्रक्रिया
चरण 1: हाईकोर्ट कोलेजियम द्वारा प्रस्ताव की शुरुआत

- हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम जजों द्वारा प्रक्रिया प्रारंभ होती है।
- अधिवक्ताओं के लिए: आयु (45-55 वर्ष), आयकर विवरण, ₹7 लाख प्रतिवर्ष की औसत आय, अदालत में प्रदर्शन, प्रो-बोनो कार्य, और नैतिकता आदि का मूल्यांकन किया जाता है।
- न्यायिक अधिकारियों के लिए: आयु 58.5 वर्ष से कम होनी चाहिए, वरिष्ठता, एसीआर, निर्णयों का मूल्यांकन और प्रतिष्ठा को ध्यान में रखा जाता है।
चरण 2: परामर्श और दस्तावेजीकरण
- संबंधित जजों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं से परामर्श लिया जाता है।
- उम्मीदवारों से व्यक्तिगत बातचीत भी की जा सकती है।
- आवश्यक दस्तावेजों में बायोडाटा, चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रमाण पत्र, रिपोर्टेड निर्णयों की सूची आदि शामिल होते हैं।
चरण 3: राज्य सरकार की भूमिका
- प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा जाता है, जो इसे राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को अग्रेषित करते हैं।
- छह सप्ताह में उत्तर न आने पर माना जाता है कि राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।
चरण 4: सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा मूल्यांकन
- सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम स्वतंत्र रूप से जांच करता है, उम्मीदवारों से बातचीत करता है, और अन्य जजों से परामर्श करता है।
- प्राप्त शिकायतों और गुप्त सूचनाओं पर भी विचार किया जाता है।
चरण 5: केंद्र सरकार की अंतिम प्रक्रिया
- यदि केंद्र को सार्वजनिक हित या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी आपत्ति हो तो वह पुनर्विचार के लिए प्रस्ताव लौटा सकता है।
- यदि कोलेजियम पुनः उसी नाम की सिफारिश करता है, तो सरकार को उसे स्वीकार करना होता है।
चरण 6: अधिसूचना और नियुक्ति
- राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद विधि मंत्रालय अधिसूचना जारी करता है।
- नियुक्त व्यक्ति को मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र और जन्मतिथि का प्रमाण पत्र देना होता है।
भारत में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में कई स्तरों की जांच, परामर्श और स्वतंत्र सत्यापन शामिल है, जो कार्यकारी इनपुट और न्यायिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन सुनिश्चित करता है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इन विस्तृत प्रक्रियाओं का प्रकाशन संस्थागत पारदर्शिता और जवाबदेही में एक महत्वपूर्ण कदम है।
