एक पंजीकृत वसीयत को तब तक खारिज नहीं किया जाना चाहिए जब तक उस पर संदेह करने के ठोस कारण न हों: सुप्रीम कोर्ट

30 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें केवल गोद लेने को अमान्य करार देकर पंजीकृत वसीयत को भी अमान्य मान लिया गया था। शीर्ष अदालत ने मामले को पुनर्विचार के लिए वापस हाईकोर्ट भेज दिया है।

मामला उत्तर प्रदेश चकबंदी अधिनियम, 1953 के तहत चल रही चकबंदी की कार्यवाही से संबंधित है। दो प्रमुख प्रश्न न्यायालय के समक्ष थे:

  1. क्या सुनील कुमार को चंद्रभान ने वैध रूप से गोद लिया था?
  2. क्या चंद्रभान ने सुनील कुमार के पक्ष में एक वैध पंजीकृत वसीयत की थी?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह माना कि जब गोदनामा अमान्य पाया गया तो वसीयत से सुनील कुमार को कोई लाभ नहीं मिल सकता। कोर्ट ने कहा:

Video thumbnail

“विवादित वसीयत चंद्रभान द्वारा अपने गोद लिए हुए पुत्र सुनील कुमार के पक्ष में की गई थी। एक बार जब यह पाया गया कि गोदनामा अमान्य है और सुनील कुमार चंद्रभान का गोद लिया हुआ पुत्र नहीं है, तो वसीयत की वैधता को मान्य नहीं ठहराया जा सकता।”

READ ALSO  Once a Forest Always a Forest, SC Says Environment is More Important than Civil Rights- Know More

सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को विधिक रूप से गलत बताया। पीठ ने कहा:

“वसीयत की वैधता के लिए यह आवश्यक नहीं है कि यह साबित किया जाए कि सुनील कुमार को वैध रूप से गोद लिया गया था। यदि वह उत्तराधिकार (intestate succession) का दावा करता तब यह मुद्दा उत्पन्न होता।”

अदालत ने यह भी दोहराया:

“सामान्यतः एक पंजीकृत वसीयत को, जब तक उस पर कोई गंभीर संदेह के कारण न हों, खारिज नहीं किया जाना चाहिए।”

READ ALSO  स्कूलों में विवाहित पुत्री अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार नहीः इलाहाबाद हाई कोर्ट

इन टिप्पणियों के आलोक में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दिनांक 20.12.2022 का निर्णय रद्द करते हुए निर्देश दिया कि दोनों प्रश्नों—(1) सुनील कुमार का गोद लिया जाना वैध था या नहीं, और (2) यदि गोदनामा अमान्य भी हो, तब भी वसीयत में कोई विधिक त्रुटि है या नहीं—पर फिर से विचार किया जाए।

पीठ ने स्पष्ट किया कि उसने मामले के मेरिट पर कोई राय नहीं दी है और हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि वह पहले के निर्णयों से प्रभावित हुए बिना साक्ष्यों के आधार पर स्वतंत्र रूप से निर्णय ले। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जब तक अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक यथास्थिति (status quo) बनी रहेगी।

READ ALSO  AAP विधायक अमानतुल्ला खान ने ED के समन के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया

मामले में लंबित सभी याचिकाएं भी निस्तारित कर दी गईं।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles