विधिक पेशे में पेशेवर ईमानदारी और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, रांची बार एसोसिएशन ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब किसी भी चल रहे मामले में यदि कोई मुवक्किल अपने वकील को बदलना चाहता है, तो उसे पूर्व वकील से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (एनओसी) प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
इस निर्णय का उद्देश्य उन बढ़ती शिकायतों को संबोधित करना है, जिनमें बिना उचित दस्तावेज़ी प्रक्रिया के वकील बदले जा रहे थे, जिससे मामलों की कार्यवाही बाधित हो रही थी और मुवक्किलों के हितों को नुकसान पहुँच रहा था।
रांची बार एसोसिएशन के महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने जानकारी दी कि जैसे झारखंड उच्च न्यायालय में बिना एनओसी के कोई भी वकील किसी केस की पैरवी नहीं कर सकता, उसी तर्ज पर अब रांची के सिविल न्यायालयों में भी यह नियम लागू किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि कई मामलों में यह देखा गया है कि एक वकील की बिना जानकारी या अनुमति के दूसरा वकील केस में उपस्थित हो जाता है, जिससे न केवल न्याय प्रक्रिया बाधित होती है, बल्कि बार और बेंच के बीच विश्वास की कमी भी उत्पन्न होती है।
नए नियम के तहत:
- मुवक्किल को नया वकील नियुक्त करने से पहले पूर्व वकील से एनओसी लेना अनिवार्य होगा।
- यदि वकील एनओसी देने से इनकार करता है और उसके विरुद्ध शिकायत की जाती है, तो एसोसिएशन की समिति उस पर त्वरित निर्णय लेगी।
- नियम का लगातार उल्लंघन करने वाले वकीलों को बार कल्याण योजनाओं से वंचित किया जा सकता है, साथ ही उनके ऊपर सीमित क्षेत्राधिकारों में प्रैक्टिस पर रोक भी लगाई जा सकती है।
- यदि कोई वकील बिना एनओसी लिए केस लेता है, तो उसकी जानकारी राज्य बार काउंसिल को दी जाएगी और उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
बार एसोसिएशन का कहना है कि यह निर्णय वकीलों के पेशेवर आचरण को बनाए रखने और न्यायिक प्रक्रिया को निष्पक्ष व पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।