उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 1994 के रामपुर तिराहा फायरिंग कांड से जुड़े मामलों में उत्तर प्रदेश सरकार को दो हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकल पीठ ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया।
याचिका में कहा गया कि कांड से जुड़े छह मुकदमों में अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है और 30 वर्षों के बाद भी इनकी स्थिति स्पष्ट नहीं है। याचिकाकर्ता के अनुसार, इन मामलों को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पत्र के आधार पर जिला जज द्वारा मुजफ्फरनगर कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन अब तक एक भी सुनवाई नहीं हुई।
याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह इन मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए दिशा-निर्देश जारी करे।

रामपुर तिराहा कांड 2 अक्टूबर 1994 को उस समय हुआ था जब उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलनकारी दिल्ली जा रहे थे। मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। साथ ही, महिला आंदोलनकारियों के साथ बलात्कार और छेड़छाड़ के आरोप भी सामने आए थे।
इस मामले में तत्कालीन मुजफ्फरनगर जिलाधिकारी आनंद कुमार सिंह समेत सात अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमे दर्ज किए थे और उन्हें मुजफ्फरनगर कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था, लेकिन ये मामले अब तक लंबित हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड को 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग कर राज्य का दर्जा दिया गया था। हाईकोर्ट का यह ताजा आदेश रामपुर तिराहा कांड से जुड़े मामलों को न्यायिक रूप से पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब अगली सुनवाई यूपी सरकार के जवाब के बाद होगी।