राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने बुधवार को स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम की 2013 के दुष्कर्म मामले में अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति गंभीर नहीं है, इसलिए जमानत बढ़ाने का कोई आधार नहीं बनता।
जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल के डॉक्टरों की रिपोर्ट पर भरोसा जताया, जिसमें कहा गया कि आसाराम की बीमारी गंभीर नहीं है। अदालत ने आदेश दिया कि आसाराम की अंतरिम जमानत 29 अगस्त को समाप्त हो जाएगी, जिसके बाद उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल में आत्मसमर्पण करना होगा।
पीठ ने हालांकि यह निर्देश दिया कि जेल में रहते हुए आसाराम को व्हीलचेयर और सहायक की सुविधा दी जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जरूरत पड़े तो उन्हें एम्स जोधपुर में जांच के लिए ले जाया जा सकता है।

इससे पहले आसाराम को हृदय संबंधी गंभीर समस्याओं के आधार पर अंतरिम जमानत दी गई थी। हाईकोर्ट ने उनके स्वास्थ्य की विस्तृत जांच के लिए अहमदाबाद सिविल अस्पताल के हृदय रोग और स्नायु रोग विशेषज्ञों की मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मंगवाई थी, जिसे बुधवार को अदालत के समक्ष पेश किया गया।
इसी बीच, एक अन्य मामले में आसाराम को गुजरात हाईकोर्ट से मिली अंतरिम जमानत 3 सितंबर तक जारी है। गुजरात हाईकोर्ट ने 19 अगस्त को आदेश देते हुए कहा था कि उनकी स्थिति गंभीर है और उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है, इसलिए जमानत अवधि बढ़ाई जा रही है।
राजस्थान हाईकोर्ट का ताज़ा आदेश यह स्पष्ट करता है कि अदालत स्वास्थ्य कारणों पर राहत देने के बावजूद, न्यायिक प्रक्रिया से बचने की गुंजाइश नहीं छोड़ेगी।