कांग्रेस नेता और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी से जुड़े एक मानहानि मामले की सुनवाई के दौरान अदालत की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर गलत दावों के साथ वायरल हो गई। तस्वीर में एक व्यक्ति को श्री गांधी के साथ सेल्फी लेते हुए दिखाया गया है, जिसे कई सोशल मीडिया पोस्ट में न्यायाधीश बताया गया। Law Trend की पड़ताल में यह दावा पूरी तरह से भ्रामक पाया गया। तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति कोई न्यायाधीश नहीं, बल्कि लखनऊ जिला अदालत में प्रैक्टिस करने वाले एक वकील हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
यह घटना मंगलवार, 15 जुलाई, 2025 को लखनऊ की एक विशेष एमपी-एमएलए अदालत में हुई, जहाँ राहुल गांधी 2018 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में पेश हुए थे। अदालत ने इस मामले में राहुल गांधी की जमानत याचिका स्वीकार कर ली। इसी पेशी के दौरान अदालत परिसर में मौजूद कई वकीलों और अन्य लोगों ने श्री गांधी के साथ तस्वीरें खिंचवाईं।

वायरल दावा और दुष्प्रचार का तंत्र
इसी क्रम में ली गई एक सेल्फी तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित की गई। कई प्रभावशाली सोशल मीडिया हैंडल्स, जिन्हें अक्सर कुछ राजनीतिक दलों की आईटी सेल का हिस्सा माना जाता है, ने इस तस्वीर को इस दावे के साथ साझा किया कि अदालत में मौजूद न्यायाधीश भी राहुल गांधी के प्रशंसक निकले और उनके साथ सेल्फी ली। इस दावे का उद्देश्य यह नैरेटिव बनाना था कि न्यायिक अधिकारी भी श्री गांधी के प्रभाव में हैं, जिससे न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाने का एक अप्रत्यक्ष प्रयास किया गया। इस प्रक्रिया में पीआर एजेंसियों और कुछ इन्फ्लुएंसर्स की भूमिका भी देखी गई, जिन्होंने इस गलत सूचना को व्यापक रूप से फैलाने में मदद की, जिससे आम लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई।
न्यायालय की पड़ताल और तथ्यों की पुष्टि
Law Trend की टीम ने जब इस वायरल तस्वीर और उसके साथ किए जा रहे दावों की पड़ताल की, तो सच्चाई कुछ और ही निकली। विभिन्न समाचार रिपोर्टों और तथ्यों की पुष्टि करने पर यह स्पष्ट हुआ कि तस्वीर में राहुल गांधी के साथ सेल्फी लेने वाले व्यक्ति न्यायाधीश नहीं हैं।
पहचान: तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति की पहचान सैयद महमूद हसन के रूप में हुई है, जो बाराबंकी जिले के निवासी हैं और वर्ष 2006 से लखनऊ की जिला अदालत में वकालत कर रहे हैं।
वकील का स्पष्टीकरण: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वकील सैयद महमूद हसन ने स्वयं इस मामले पर स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने पुष्टि की कि वायरल फोटो में वही हैं और उन्होंने स्पष्ट किया, “मैं राहुल गांधी से मिलने गया था, लेकिन मैं कोई जज नहीं हूं। मैं सिर्फ एक वकील हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि वह एक नेता के रूप में राहुल गांधी को पसंद करते हैं और इसी भावना से उन्होंने कई अन्य वकीलों की तरह सेल्फी ली थी।
अदालती कार्यवाही और निर्णय
इस घटना का मुख्य मामले की कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। विशेष न्यायाधीश एच.आर. यादव ने राहुल गांधी को मानहानि मामले में जमानत दे दी। यह शिकायत भाजपा नेता विजय मिश्रा द्वारा 2018 में दायर की गई थी। राहुल गांधी की पेशी और जमानत की प्रक्रिया न्यायिक प्रोटोकॉल के अनुसार पूरी की गई। यह घटना इस बात का एक स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे एक सामान्य घटना को तोड़-मरोड़कर फेक न्यूज़ का ताना-बाना बुना जाता है और कैसे आईटी सेल, पीआर एजेंसियां और इन्फ्लुएंसर्स मिलकर एक संगठित तरीके से जनता को गुमराह करने का प्रयास करते हैं। यह मामला तथ्यों की त्वरित जांच और सत्यापन के महत्व को भी रेखांकित करता है।