पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को पंजाब सरकार से यह जवाब तलब किया कि अदालतों और अर्ध-न्यायिक निकायों, विशेष रूप से राज्य सूचना आयोग में हाइब्रिड सुनवाई की सुविधा अब तक क्यों नहीं दी गई, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता निखिल थम्मन और सुनेना द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर रही है और राज्य सूचना आयोग की दैनिक कारण सूची में वर्चुअल सुनवाई के लिंक नहीं जोड़े जा रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस लापरवाही के कारण वकीलों और वादियों सहित अनेक पक्षकारों को डिजिटल माध्यम से न्याय तक पहुंच नहीं मिल पा रही है, जो न्यायिक प्रक्रियाओं को सुगम और समावेशी बनाने के संविधान सम्मत अधिकार का उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की इस निष्क्रियता पर नाराज़गी जताते हुए 15 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीठ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार हाइब्रिड सुनवाई प्रणाली को नियमित और सुसंगत रूप से लागू किया जाना अनिवार्य है।
अब यह मामला सरकार के जवाब के बाद अगली सुनवाई में आगे बढ़ेगा।